शनिवार 11 शव्वाल 1445 - 20 अप्रैल 2024
हिन्दी

ईस्टर के समारोहों में भग लेने का हुक्म

प्रश्न

मैं यह जानना चहता हूँ कि क्या सिडनी के शाही ईस्टर शो के लिए जाना हराम (निषिद्ध) है? बावजूद इसके कि उसका नाम ईस्टर शो रखा गया है, परंतु उसका ईस्टर से कोई संबंध नहीं है। मैं दरअसल ट्रिक्स (चालों), फलों और पशुओं के शोज़ को देखने के लिए जाना चाहता हूँ। और इन सभी शोज़ का ईस्टर से कोई लेना देना नहीं है।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

मुसलमान के लिए काफिरों के आविष्कारित त्योहारों और समारोहों, जैसे ईस्टर और क्रिसमस इत्यादि में भाग लेना जायज़ नहीं है। क्योंकि इसमें भाग लेने और उपस्थित होने में, इस बुराई पर सहयोग करना, उसके अनुयायियों की संख्या बढ़ाना और उनकी समानता अपनाना पाया जाता है। और यह सब निषिद्ध और वर्जित है। अल्लाह तआला का कथन है :

وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَى وَلا تَعَاوَنُوا عَلَى الْإثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ [المائدة : 2].


''नेकी और तक़्वा (पुण्य और ईश्भय) के कामों में एक दूसरे का सहयोग किया करो तथा पाप और अत्याचार (आक्रामकता) पर एक दूसरे का सहयोग न करो, और अल्लाह से डरते रहो, निःसंदेह अल्लाह तआलाकड़ी यातना देनेवाला है।'' (सूरतुल माइदा : 2)

तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है :

''जिसने किसी क़ौम की समानता अपनाई वह उन्हीं में से है।'' इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4031) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने ''इर्वाउल गलील'' (5/109) में इसे सहीह कहा है।

इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने फरमाया : उन विद्वानों की सर्व सहमति के साथ जो उसके योग्य हैं, अनेकेश्वरवादियों के त्योहारों में उपस्थित होना जायज़ नहीं है। चारों मतों के अनुयायियों के धर्मशास्त्रियों ने अपनी किताबों में इसको स्पष्टता के साथ उल्लेख किया है . . . तथा बैहक़ी ने सहीह इसनाद के साथ उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने फरमाया :

''अनेकेश्वरवादियों (मुश्रिकों) के त्योहार के दिन उनके चर्चों में उनके पास न जाओ, क्योंकि उन पर (अल्लाह का) क्रोध उतरता है।''

तथा उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने यह भी फरमाया :

''अल्लाह के शत्रुओं से उनके त्योहारों में दूर रहो।''

तथा बैहक़ी ने अच्छे इसनाद के साथ अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस से रिवायत किया है कि उन्हों ने फरमाया : जो आदमी अजमियों (गैर- अरबों) के देशों से गुज़रा, और उनका नीरोज़ (नया साल) और पर्व मनाया, और उनकी समानता अपनाया यहाँ तक कि वह इसी हालत में मर गया: तो वह क़ियामत के दिन उनके साथ ही उठाया जायेगा।''

''अहकाम अहलिज़्ज़िम्मा'' (1/723) से समाप्त हुआ।

इफ्ता की स्थायी समिति से अर्जेंटीना के राष्ट्रीय समारोहों के बारे में प्रश्न किया गया, जो उनके चर्चों में आयोजित किया जाता है जैसे स्वतंत्रता दिवस - तथा अरब ईसाई समारोह जैसे ईस्टर - तो उसने उत्तर दिया : ''मुसलमानों की ओर से उसका आयोजन करना जायज़ है, न उसमें उपस्थित होना और न तो उसमें ईसाइयों के साथ भाग लेना जायज़ है ;क्योंकि उसके अंदर पाप और अतिक्रमण पर मदद करना पाया जाता है, और अल्लाह तआला ने इससे रोका है।

और अल्लाह तआला ही तौफीक़ प्रदान करनेवाला है।''

''फतावा स्थायी समिति'' (2/76) से समाप्त हुआ।

निष्कर्ष यह कि : काफिरों के त्योहारों का जश्न मनाना, तथा उसके मनाने वालों के साथ भाग लेना जायज़ नहीं है, चाहे वे उसके अंदर अपने धर्म की कोई चीज़ करें, या केवल खेल-कूद और मनोरंजन पर निर्भर करें ; क्योंकि उत्सव मनाना मात्र ही एक निषिद्ध नवाचार है, जबकि उनके धार्मिक अनुष्ठानों में उपस्थित होना सबसे अधिक निषिद्ध है।

मुसलमान को चाहिए कि वह इस दिन को अपने अन्य दिनों के समान बिताए, उसे किसी खाद्य और पेय के साथ, तथा इसके अलावा हर्ष व उल्लास के अन्य अभिव्यक्तियों के द्वारा विशिष्ट न करे, जिसे इस त्योहार (पर्व) को मनाने वाले करते हैं, जैसे कि पार्कों और बगीचो के लिए निकलना,खेल-कूद और इसके समान चीज़े ; ताकि वह अनुमोदन व स्वीकृति और भागीदारी के पाप से मुक्त हो सके।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर