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 जिस व्यक्ति को सलसुल बौल (मूत्र असंयम) की शिकायत है उसके लिए दो नमाज़ों को एकत्र करने का हुक्म

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प्रकाशन की तिथि : 12-12-2021

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प्रश्न

 

जिस व्यक्ति के शौचालय में जाने और इस्तिंजा करने के बाद पेशाब की बूँदें गिरती हैं, उसके बारे में शैख इब्ने उसैमीन का फत्वा यह है कि वह व्यक्ति इस्तिंजा करेगा, फिर जब नमाज़ का समय प्रवेश करेगा तो उसके ऊपर वुज़ू करना अनिवार्य है।
मेरा प्रश्न यह है कि : यदि मुसलमान यात्रा के कारण अपनी नमाज़ को एकत्र करके पढ़ता हो और दो नमाज़ों के अंतराल के बीच उससे पेशाब की कुछ बूँदे निकलें, अर्थात इसके बाद कि वह ज़ुहर की नमाज़ पढ़ चुका हो, लेकिन अस्र की नमाज़ को क़ायम करने से फारिग होने से पहले, या ज़ुहर की नमाज़ के दौरान किसी भी समय, यानी उस व्यक्ति के अस्र की नमाज़ को क़ायम करने से पूर्व, तो क्या उसके ऊपर अपने वुज़ू को दोहराना अनिवार्य है ताकि वह दूसरी अर्थात इस उदाहरण में अस्र की नमाज़ पढ़ सके?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यदि उसे सलसुल बौल (मूत्र असंयम) कि शिकायत निरंतर है, वह उसके नमाज़ पढ़ने की हालत में भी बंद नही होता है, तो वह उसी वुज़ू से अस्र की नमाज़ पढ़ेगा, और उसके ऊपर वुज़ू को लौटाना अनिवार्य नहीं है।

लेकिन यदि उसका सलसुल बौल बंद हो जाता है, फिर दोनों नमाज़ों के बीच के अंतराल में पेशाब की कुछ बूँदें निकलती हैं तो उसके ऊपर वुज़ू दोहराना अनिवार्य है। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: शैख खालिद अस्सब्त