मंगलवार 9 रमज़ान 1445 - 19 मार्च 2024
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क्या हाजी के लिए क़ुर्बानी धर्मसंगत है ?

प्रश्न

क्या मैं और मेरी पत्नी हज्ज में एक मेढे की क़ुर्बानी करें या दो की ? और क्या हमें अपने देश में क़ुर्बानी करनी चाहिए या नहीं ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यदि आप दोनों हज्ज तमत्तुअ या हज्ज क़िरान करने वाले थे, तो आप दोनों में से हर एक पर एक -एक हदी (क़ुर्बानी) अनिवार्य है, और आप दोनों की ओर से एक मेढा काफी नहीं होगा ; क्योंकि हज्ज तमत्तुअ और क़िरान का दम (क़ुर्बानी) अनिवार्य है, और जो व्यक्ति क़ुर्बानी न पाए तो वह दस दिन रोज़ा रखे, तीन रोज़े हज्ज में और सात रोज़े जब अपने देश लौट आए, जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान है :

فَمَنْ تَمَتَّعَ بِالْعُمْرَةِ إِلَى الْحَجِّ فَمَا اسْتَيْسَرَ مِنَ الْهَدْيِ فَمَنْ لَمْ يَجِدْ فَصِيَامُ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ فِي الْحَجِّ وَسَبْعَةٍ إِذَا رَجَعْتُمْ تِلْكَ عَشَرَةٌ كَامِلَةٌ [البقرة : 196]

‘‘जो उम्रे से लेकर हज्ज तक तमत्तुअ करे, बस उसे जो भी क़ुर्बानी उपलब्ध हो उसे कर डाले। जिसमें ताक़त न हो वह तीन रोज़े हज्ज के दिनों में रख ले और सात वापसी में, यह पूरे दस हो गए।’’ (सूरतुल बक़रा : 196)

परंतु यदि आप दोनों हज्ज इफ्राद करने वाले थे, तो आप दोनों पर हदी (हज्ज की क़ुर्बानी) अनिवार्य नहीं है, और आप दोनों के लिए जितना भी चाहें, एक या उससे अधिक हदी (क़ुर्बानी) दे सकते हैं, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने हज्ज में सौ ऊँट हदी (क़ुर्बानी) दिए।

दूसरा :

जहाँ तक क़ुर्बानी का संबंध है तो वह हाजी के लिए धर्मसंगत नहीं है, बल्कि उसके लिए हदी धर्मसंगत है।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया : इन्सान क़ुर्बानी और हज्ज को एक साथ कैसे एकत्र करें, और क्या यह धर्मसंगत है ?

तो उन्हो ने उत्तर दिया : ‘‘हज्ज करने वाला क़ुर्बानी नहीं करेगा, बल्कि वह हदी देगा, इसीलिए नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज्जतुल वदाअ में क़ुबानी नहीं की बल्कि हदी दिया था। लेकिन यदि मान लिया जाए कि हज्ज करने वाला अकेले हज्ज कर रहा है, और उसके परिवार वाले उसके देश में हैं, तो ऐसी स्थिति में वह अपने परिवार वालो के लिए पैसा छोड़ देगा जिससे वे क़ुर्बानी का जानवर खरीदकर उसकी क़ुर्बानी करेगें। वह स्वयं हदी देगा, और वे लोग क़ुर्बानी करेंगे, क्योंकि क़ुर्बानी शहरों में धर्मसंगत है, रही बात मक्का की तो वहाँ हदी है।

‘‘अल्लिक़ा अश्श्हरी’’ से समाप्त हुआ।

तथा अधिक लाभ के लिए प्रश्न संख्या (82027) का उत्तर देखें।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर