मंगलवार 9 रमज़ान 1445 - 19 मार्च 2024
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क्या रमज़ान के महीने के दौरान संभोग करना जाइज़ है?

प्रश्न

क्या रमज़ान के महीने के दौरान संभोग करना जाइज़ है ? और क्या रमज़ान की रातों में संभोग करना और सेहरी से पहले स्नान कर लेना जाइज़ है ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

उस पुरूष और स्त्री के लिए रमज़ान के दिन के दौरान संभोग करना हराम है जिन पर रमज़ान में रोज़ा रखना अनिवार्य है, और ऐसा करने में गुनाह है और कफ्फारा अनिवार्य है। और वह कफ्फारा : एक गुलाम आज़ाद करना है, और जो इस पर सक्षम न हो वह लगातार दो महीने रोज़ा रखे, और जो इसकी ताक़त न रखता हो वह 60 मिस्कीनों को खाना खिलाये।

चुनांचि अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया : हम रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ बैठे हुए थे कि एक व्यक्ति आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया और कहा: ऐ अल्लाह के रसूल ! मेरा सर्वनाश हो गया।

आप ने पूछा: "तुझे किस चीज़ ने सर्वनाश कर दिया ?"

उसने उत्तर दिया: मैं ने रमज़ान के दिन में रोज़े की हालत में अपनी पत्नी से संभोग कर लिया।

आप ने कहा : "क्या तुम एक गु़लाम (दास या दासी) मुक्त करने की ताक़त रखते हो ?"

उसने कहा : नहीं।

आप ने कहा कि क्या तुम निरन्तर दो महीने का रोज़ा रखने की शक्ति रखते हो ?"

उसने कहा : नहीं।

आप ने कहा : क्या तुम साठ मिस्कीनों को भोजन कराने का सामर्थ्य रखते हो ?"

उसने कहा: नहीं।

फिर आदमी बैठ गया। उसी बीच में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास खजूर की एक टोकरी आई, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उससे कहा : "इसे लेजाकर दान कर दो।"

उस व्यक्ति ने कहा: क्या अपने से भी अधिक दरिद्र पर दान कर दूँ ? अल्लाह की सौगन्ध ! मदीना की दोनों पहाड़ियों के बीच मुझ से अधिक निर्धन कोई घराना नहीं है। इस पर पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हंस पड़े यहाँ तक कि आप के केंचुली के दान्त स्पष्ट हो गए, फिर आप ने फरमाया: "इसे ले जाकर अपने घर वालों को खिला दो।" (सहीह बुखारी हदीस संख्या : 1834, 1835, सहीह मुस्लिम हदीस संख्या : 1111)

दूसरा :

जहाँ तक रमज़ान की रातों में संभोग करने का प्रश्न है, तो वह जाइज़ है, निषेध नहीं है। यह वैधता फज्र के समय के प्रवेश करने तक जारी रहती है। यदि फज़्र उदय होगई तो संभोग करना हराम हो गया।

अल्लाह तआला का फरमान है :

أُحِلَّ لَكُمْ لَيْلَةَ الصِّيَامِ الرَّفَثُ إِلَى نِسَائِكُمْ هُنَّ لِبَاسٌ لَكُمْ وَأَنْتُمْ لِبَاسٌ لَهُنَّ عَلِمَ اللَّهُ أَنَّكُمْ كُنْتُمْ تَخْتَانُونَ أَنْفُسَكُمْ فَتَابَ عَلَيْكُمْ وَعَفَا عَنْكُمْ فَالآنَ بَاشِرُوهُنَّ وَابْتَغُوا مَا كَتَبَ اللَّهُ لَكُمْ وَكُلُوا وَاشْرَبُوا حَتَّى يَتَبَيَّنَ لَكُمُ الْخَيْطُ الأَبْيَضُ مِنَ الْخَيْطِ الأَسْوَدِ مِنَ الْفَجْرِ ثُمَّ أَتِمُّوا الصِّيَامَ إِلَى اللَّيْلِ[البقرة: ١٨٧]

"रोज़े की रातों में अपनी पत्नियों से संभोग करना तुम्हारे लिए वैध किया गया, वह तुम्हारी पोशाक हैं और तुम उनके पोशाक हो, तुम्हारी गुप्त खियानतों को अल्लाह तआला जानता है, उसने तुम्हारी क्षमा याचना स्वीकार करके तुम्हें क्षमा कर दिया, अब तुम्हें उनसे संभोग करने की और अल्लाह की लिखी हुई चीज़ को ढूंढ़ने की अनुमति है, तुम खाते पीते रहो यहाँ तक कि प्रभात (फज्र) का सफेद धागा रात के काले धागे से प्रत्यक्ष हो जाए। फिर रात तक रोज़े पूरे करो।" (सूरतुल बकरा : 187)

यह आयत इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि रमज़ान की रातों में फज्र तक खाना, पीना और संभोग करना जाइज़ है। संभोग के बाद स्नान करना फिर फज्र की नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर