गुरुवार 18 रमज़ान 1445 - 28 मार्च 2024
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अगर तवाफ़ या सई के दौरान नमाज़ खड़ी कर दी जाए

प्रश्न

अगर तवाफ या सई करते वक्त नमाज़ खड़ी कर दी जाए, तो मुझे क्या करना चाहिएॽ क्या मुझे तवाफ़ पूरा करना चाहिए, या नमाज़ पढ़नी चाहिए और फिर तवाफ़ दोहराना चाहिएॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

अगर तवाफ़ या सई के दौरान नमाज़ खड़ी हो जाए, तो आप अपना तवाफ़ बंद कर देंगे और इमाम के साथ नमाज़ अदा करेंगे। फिर जहाँ से आपने तवाफ़ छोड़ा था, वहीं से उसे पूरा करेंगे। आपको तवाफ़ दोहराने या उस चक्कर को दोहराने की ज़रूरत नहीं है जिसे आपने नमाज़ अदा करने के लिए छोड़ दिया था।

शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने कहा :

“यदि कोई व्यक्ति किसी वजह से तवाफ़ को बाधित कर दे, जैसे कि किसी ने तवाफ़ के तीन चक्कर लगाए, फिर नमाज़ खड़ी हो गई, तो वह नमाज़ पढ़ेगा और फिर वापस जाकर उसी जगह से (तवाफ़) शुरू करेगा (जहाँ से उसे छोड़ा था)। उसे हजर-ए-असवद पर वापस जाने की ज़रूरत नहीं है। बल्कि वह अपनी जगह से शुरू करेगा और तवाफ़ पूरा करेगा। इसके विपरीत कुछ विद्वानों ने कहा है कि वह हजर-ए-असवद से शुरू करेगा। लेकिन सही दृष्टिकोण यह है कि उसे ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है, जैसा कि विद्वानों के एक समूह ने कहा है। इसी प्रकार यदि कोई जनाज़ा लाया जाए और वह उसपर नमाज़ पढ़ने लगे, या कोई उसे रोककर बात करने लगे, या वहाँ भीड़भाड़ हो, या इसी तरह की अन्य चीज़ों की वजह से रुक जाए, तो वह अपना तवाफ़ पूरा करेगा और इसमें उसपर कोई हर्ज नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

“मजमूओ फतावा अश-शैख इब्ने बाज़” (17/216).

तथा शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने यह भी कहा :

“अगर नमाज़ शुरू हो जाए और वह तवाफ़ या सई में हो, तो वह लोगों के साथ नमाज़ पढ़े, फिर वह अपना तवाफ़ या सई वहीं से पूरी करे जहाँ वह रुका था।”

“फतावा इस्लामिय्यह” (2/250)।

तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा :

“अगर नमाज़ के लिए जमाअत खड़ी हो जाए और आदमी तवाफ़ कर रहा हो, चाहे वह उम्रा का तवाफ हो या हज्ज का तवाफ़ हो या स्वेच्छिक तवाफ़ हो, तो वह अपना तवाफ़ छोड़कर नमाज़ पढ़ेगा, फिर वापस लौटकर तवाफ़ पूरा करेगा और उसे फिर से शुरू नहीं करेगा, बल्कि उस स्थान से तवाफ़ पूरा करेगा जहाँ वह पहले पहुँचा था। तथा उसे उस चक्कर को फिर से दोहराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उसने जितना तवाफ़ पहले किया था, वह एक सही आधार पर और शरई अनुमति के अनुसार किया गया था। इसलिए वह किसी शरई प्रमाण के बिना अमान्य नहीं हो सकता।”

“फतावा अरकानुल-इस्लाम (पृष्ठ : 539).

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर