गुरुवार 16 शव्वाल 1445 - 25 अप्रैल 2024
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पूरा फ़िदया एक ही ग़रीब व्यक्ति को देने में कोई आपत्ति नहीं है

प्रश्न

क्या रोज़ा रखने में असमर्थ व्यक्ति के लिए तीस दिनों के लिए एक ग़रीब व्यक्ति को खाना खिलाना जायज़ है अथवा वह एक ही दिन में तीस ग़रीब व्यक्तियों को खाना खिलाएगाॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

जो व्यक्ति निरंतर (स्थायी) रूप से रोज़ा रखने में असमर्थ है, उसके लिए आवश्यक है कि वह प्रत्येक दिन के बदले जिसका उसने रोज़ा नहीं रखा है, एक ग़रीब व्यक्ति को खाना खिलाए। क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :

وَعَلَى الَّذِينَ يُطِيقُونَهُ فِدْيَةٌ طَعَامُ مِسْكِينٍ   [البقرة : 185]

“और जो लोग (कठिनाई से) इसकी ताक़त रखते हैं, फ़िदया (छुड़ौती) में एक ग़रीब को खाना दें।" (सूरतुल बक़रा : 184)

इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने कहा : यह आयत मंसूख़ (जिसका हुक्म निरस्त कर दिया गया हो) नहीं है। यह बूढ़े (वयोवृद्ध) पुरूष और बूढ़ी महिला के लिए है, जो रोज़ा रखने की ताक़त नहीं रखते हैं। अत: वे हर दिन के बदले एक मिस्कीन (ग़रीब व्यक्ति) को खाना खिलाएँगे।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 4505) ने रिवायत किया है।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा :

"खाना खिलाने के दो तरीक़े हैं :

पहला : वह खाना बनाए और उन दिनों की संख्या के अनुसार, जिनका रोज़ा उसके ऊपर रह गया है, गरीबों को खाने के लिए आमंत्रित करे। जैसा कि अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु किया करते थे, जब वह बूढ़े हो गए थे।

दूसरा तरीक़ा : उन्हें अपक्व (न पकाया हुआ) भोजन (अर्थात् राशन) देना।”

“अश-शर्हुल मुम्ते” (6/335) से उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा प्रश्न संख्या : (49944) देखें।

जहाँ तक तीस दिनों के लिए एक ग़रीब व्यक्ति को खिलाने का संबंध है, तो बहुत-से विद्वानों ने इसे स्पष्ट रूप से जायज़ कहा है। और यही शाफेइय्या, हनाबिला और मालिकिय्यह के एक समूह का मत है। “अल-इंसाफ” (3/291) में आया है : “खाना खिलाने का राशन (भोजन) एक ही बार में एक ही ग़रीब व्यक्ति को देना जायज़ है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा देखें : तुहफ़तुल-मुह़ताज (3/446), कश्शाफ़ुल-क़िनाअ (2/313)

तथा “फतावा अल-लज्नह अद्-दाईमह” (10/198) में आया है :

“जब डॉक्टर यह कह दें कि यह बीमारी जिससे आप पीड़ित हैं और जिसके चलते आप रोज़ा रखने में सक्षम नहीं हैं – एक ऐसी बीमारी है, जिससे आपके ठीक होने की आशा नहीं है। तो ऐसी स्थिति में आपको प्रत्येक दिन के बदले एक ग़रीब व्यक्ति को खाना खिलाना होगा, इसकी मात्रा शहर के सामान्य भोजन (ग़िज़ा), जैसे खजूर या उसके अलावा से आधा ‘साअ’ है। यदि आप एक ग़रीब व्यक्ति को उन दिनों की संख्या में जो आपके ऊपर हैं, रात का खाना या दोपहर का खाना खिला देते हैं, तो यह पर्याप्त होगा।” उद्धरण समाप्त हुआ।

इससे आपको ज्ञात हो जाता है कि तीस दिनों के लिए एक ग़रीब व्यक्ति को खाना खिलाना, या एक दिन में तीस गरीबों को इकट्ठा करना और उन्हें खिलाना, जायज़ है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।  

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर