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मैं फ्लैश नामक एक प्रोग्राम का उपयोग करता हूँ। जब मैं इसका उपयोग करता हूँ, तो मैं एक व्यक्ति का आकार बनाता हूँ, लेकिन बिना मुखाकृति (चेहरा-मोहरा) के। फिर मैं इस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके इसे चेतन (सजीव) करता हूँ। क्या यह जायज़ हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
मनुष्यों, पक्षियों या जानवरों जैसे चेतन प्राणियों के आकार खींचना या चित्र बनाना जायज़ नहीं है। क्योंकि यह अल्लाह की रचना की नकल करने के शीर्षक के अंतर्गत आता है, जैसा कि हदीस में कारण सहित इसका वर्णन किया गया है। बुखारी (हदीस संख्या : 5954) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2107) ने रिवायत किया है (और शब्द मुस्लिम के हैं) कि आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा ने कहा : अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मेरे पास (घर में) आए और मैंने अपने एक ताक़ (ताखा) को एक पर्दे से ढक दिया था, जिसमें छवियाँ बनी थीं। जब आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसे देखा, तो इसे फाड़ दिया और आपके चेहरे का रंग बदल गया। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "ऐ आयशा! क़ियामत के दिन अल्लाह के निकट सबसे अधिक कठोर दंड वाले, वे लोग होंगे जो अल्लाह की रचना की नकल करते हैं।” आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा कहती हैं : तो हमने उसे काटकर उससे एक या दो तकिए बना लिए।”
लेकिन अगर चित्र या छवि उन विशेषताओं से रहित है जो आँख, नाक और मुँह को प्रकट करती हैं, तो यह निषेध के तहत नहीं आता है, क्योंकि यह अल्लाह की रचना की नकल करना नहीं है।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा : जहाँ तक बच्चों के लिए रुई (कपड़े) से बनी गुड़िया के मुद्दे का संबंध है, जिसमें छवि स्पष्ट नहीं होती है, जबकि उसमें अंग, सिर और गर्दन होती है, लेकिन उसमें आँख और नाक नहीं होती है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है; क्योंकि यह अल्लाह की रचना की नकल नहीं करता है।”
तथा उन्होंने यह भी कहा : “हर वह व्यक्ति जो अल्लाह की रचना की मुशाबहत (नकल) करते हुए कोई चीज़ बनाता है, वह इस हदीस में शामिल है : “नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने छवि बनाने वालों को शाप दिया...”, तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह कथन है : “जिन लोगों को क़ियामत के दिन सबसे अधिक कठोर यातना दी जाएगी, वे छवि बनाने वाले लोग हैं।”, लेकिन जैसा कि मैंने कहा : यदि छवि स्पष्ट नहीं है, अर्थात् : उसमें कोई आँख, नाक, मुँह या उंगलियाँ नहीं हैं : तो यह पूर्ण छवि नहीं है, और न ही यह अल्लाह की रचना की समानता (बराबरी) करने वाली है।”
“मजमूओ फ़तावा अश-शैख इब्ने उसैमीन” (2/278, 279) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।