हम आशा करते हैं कि आप साइट का समर्थन करने के लिए उदारता के साथ अनुदान करेंगे। ताकि, अल्लाह की इच्छा से, आपकी साइट – वेबसाइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर - इस्लाम और मुसलमानों की सेवा जारी रखने में सक्षम हो सके।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यदि मनुष्य व्यापार करने की नीयत से कोई ज़मीन खरीदे तो उस माल पर जिसके द्वारा उसने उसे खरीदा है साल भर गुज़र जाने पर उसके ऊपर ज़कात अनिवार्य है ।
ज़कात का हिसाब करने का तरीक़ा यह है कि : साल गुज़रने पर ज़मीन की क़ीमत लगाई जाएऔर दसवें हिस्से का एक चौथाई (यानी 2.5 प्रतिशत) निकाल दिया जाए। अतः ज़कात निकालने के समय उसकी क़ीमत का एतिबार किया जायेगा,खरीदने के समय की उसकी क़ीमत या मूल्य का एतिबार नहीं किया जायेगा।
जहाँ तक उस आदमी का मामला है जिसने कोई ज़मीन खरीदी और उसमें व्यापार करने की नीयत नहीं की, फिर उसको उसे बीचने की आवश्यकता पड़ गई, या उसे उसका अच्छा भाव मिल गया तो उसने उसे बेच दिया, तो इस पर व्यापार की ज़कात अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि उसने उसे बेच दिया फिर उसके पास जो माल है उस पर साल बीत गया तो वह उसमें माल की ज़कात निकालेगा।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “यदि आदमी के पास रियल एस्टेट है जिसमें वह व्यापार करना नहीं चाहता है, लेकिन यदि उसे अधिक मूल्य दिया जाए तो उसे बेच देगा,तो यह व्यापार का सामान नहीं समझा जायेगा ;क्योंकि उसने व्यापार की नीयत नहीं की है,और हर मनुष्य का यही हाल है कि उसके हाथ में जो चीज़ है उसकी यदि उसे अधिक क़ीमत दी जाय,तो अधिक संभावना है कि वह उसे बेच देगा,चाहे वह उसका घर या कार (गाड़ी) या इसके समान कोई चीज़ ही क्यों न हो।”
तथा उन्हों ने फरमाया : “यदि उसके पास एक गाड़ी है जिसे वह इस्तेमाल करता है, फिर उसके लिए यह बात प्रकट हुई कि वह उसे बेच दे तो यह तिजारत के लिए नहीं होगी, क्योंकि यहाँ उसको बेचना व्यापार के लिए नहीं है, बल्कि उसके उससे अभिरूचि के कारण है, इसी के समान यदि उसके पास एक ज़मीन है जिसे उसने उस पर निर्माण करने के लिए खरीदा है, फिर उसके मन में आया उसे बेच दे और उसके अलावा दूसरी खरीद ले,और उसको बेचना के लिए प्रस्तुत कर दिया तो वह व्यापार के लिए नहीं होगी ;क्योंकि यहाँ पर बेचने की नीयत कमाई करने के लिए नहीं है, बल्कि उससे अभिरूचि के कारण है।” (यानी उसे अब उसकी चाहत नहीं है)
“अश-शर्हुल मुम्ते” (6/142) से अंत हुआ।
और यदि आदमी के पास कोई ज़मीन है और वह उसे अपने पास रखने (यानी उसके अधिग्रहण) या उसमें व्यापार करने के बारे में असमंजस में पड़ा हुआ है, तो उस पर ज़कात अनिवार्य नहीं है यहाँ तक कि व्यापार की सुदृढ़ नीयत कर ले। तथा प्रश्न सख्या (117711 ) का उत्तर देखें।