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क्या अपने परिवार के सदस्यों को ईदुल अज़्हा और ईदुल फ़ित्र के अवसर पर कुछ उपहार देना और ऐसा हर साल करना जायज़ है, या कि यह एक नवाचार (बिद्अत) हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
ईदुल फ़ित्र और ईदुल अज़्हा के अवसर पर परिवार और रिश्तेदारों को उपहार देने में कुछ भी गलत नहीं है; क्योंकि ये खुशी और आनंद के दिन हैं, जिनमें संबंधों को बनाए रखना, उनके साथ सद्व्यवहार करना तथा भोजन और पेय में विस्तार करना वांछनीय है, और यह बिद्अत नहीं है, बल्कि यह एक अनुमेय चीज़ और अच्छी आदत है। और वह ईद के प्रतीकों में से एक है। इसीलिए उन नवाचार के दिनों में उपहार देना तथा खुशी और आनंद व्यक्त करना निषिद्ध है, जिनका जश्न मनाना वर्णित नहीं है, जैसे कि नव वर्ष, या मीलादुन्नबी (पैगंबर का जन्मदिन) या शाबान का पंद्रहवां दिन, क्योंकि ऐसा करना उन्हें त्योहार बना देता है।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह कहते हैं : ‘‘इस ईद पर यह भी होता है कि लोग उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, जिसका अर्थ यह है कि वे खाना बनाते हैं और एक दूसरे को खाने के लिए आमंत्रित करते हैं, और इकट्ठा होते हैं और खुश होते हैं। यह एक ऐसी आदत (प्रथा) है जिसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है; क्योंकि ये ईद के दिन हैं। यहाँ तक कि जब अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के घर में प्रवेश किया और उस समय आपके पास दो युवा लड़कियाँ थीं जो ईद के दिन गीत गा रही थीं, तो उन्होंने उन दोनों को फटकार लगाई। इसपर पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा: "उन्हें रहने दो।" और आप ने यह नहीं कहा क्योंकि वे युवा लड़कियां हैं। बल्कि आप ने कहा: "उन्हें रहने दो, क्योंकि ये ईद के दिन हैं।"
इसमें इस बात का प्रमाण है कि अल-हम्दुलिल्लाह इस्लामी शरीयत की ओर से बंदों के लिए यह आसानी है कि उसने उन्हें ईद के दिनों में खुशी और आनंद के कुछ अवसर प्रदान किए हैं।’’
“मजमूओ फतावा इब्ने उसैमीन” (16/276) से उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा आप रहिमहुल्लाह ने फरमायाः “यह बात सर्वज्ञात है कि इस्लामी शरीयत में कोई ईद (त्योहार) नहीं है, सिवाय उसके जो शरीयत में सिद्ध और प्रमाणित है, जैसे कि ईदुल फित्र और ईदुल अज़्हा, तथा इसी तरह जुमा का दिन (शुक्रवार) जो कि साप्ताहिक ईद है। जहाँ तक पंद्रहवीं शाबान का प्रश्न है तो इस्लामी शरीयत में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह ईद है। इसलिए यदि इसे ऐसा अवसर बना लिया जाता है जिसमें दान वितरित किया जाता है या पड़ोसियों को उपहार दिया जाता है, तो यह इसे ईद (त्योहार) बनाने के अंतर्गत आएगा।”
“फ़तावा नूरुन अलद-दर्ब” से उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा उन्होंने “मदर्स डे” के विषय में कहा: “जब यह स्पष्ट हो गया, तो ज्ञात होना चाहिए कि प्रश्न में वर्णित ईद (त्योहार) जिसे “मदर्स डे” (मातृ दिवस) के नाम से जाना जाता है, उसमें ईद के किसी भी अनुष्ठान (प्रतीक) को करने की अनुमति नहीं है, जैसे कि खुशी और आनंद व्यक्त करना, और उपहार भेंट करना, और इसी तरह की अन्य चीज़ें।
“मजमूओ फतावा इब्ने उसैमीन” (2/301) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।