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हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।सर्व प्रथम :
प्रश्न संख्या (130487) के उत्तर में व्यापार के सामानों में ज़कात के अनिवार्य होने का वर्णन किया जा चुका है।
दूसरा :
व्यापार के सामान की ज़कात में साल के अंत का एतिबार किया जायेगा,उदाहरण के तौर पर यदि एक आदमी के पास व्यापार का सामान है जिसकी क़ीमत का अनुमान - दस हज़ार रियाल - लगाया जाता है,फिर साल के दौरान उसका भाव बढ़ गया,फिर उसमें खरीद मूल्य से कमी आगई,और जब व्यापार के सामान का साल पूरा हो गया तो उसका भाव बढ़ा हुआ था,तो ज़कात का एतिबार उस भाव पर होगा जिस पर साल पूरा हुआ है,चाहे भाव गिरा हुआ (यानी कम) हो या बढ़ा हुआ (यानी अधिक) हो।
ज़करिय्या अंसारी ने “अल-गुरर अल-बहिय्या” (2/164) में फरमाते हैं : “व्यापारों के निसाब (ज़कात के अनिवार्य होने की न्यूनतम सीमा) में साल के अंत का एतिबार किया जायेगा ;क्योंकि वही ज़कात के अनिवार्य होने का समय है और उस से पहले की स्थिति को नहीं देखा जायेगा।” अंत हुआ।
तथा “कश्शाफुल क़िना” (2/241) में आया है : “जिन सामानों के मूल्य में ज़कात अनिवार्य होती है साल पूरा होने पर उनका मूल्यांकन किया जायेगा ;क्योंकि वही ज़कात के अनिवार्य होने का समय है।”समाप्त हुआ।
तथा शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“घरों में ज़कात नहीं है यदि वे निवास के लिए तैयार किए गए हैं . . .,परंतु बिक्री के लिए तैयार किए गए घरों,दुकानों और भूमि में हर वर्ष उनकी क़ीमतों के अनुसार साल पूरा होने पर ज़कात अनिवार्य है, यदि उसके मालिक ने बेचने का सुदृढ़ संकल्प कर लिया है।” अंत हुआ।
“मजमूउल फतावा” (14/173).
तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया : एक व्यक्ति के पास ज़मीन का एक टुकड़ा है जिसे उसने बिक्री के लिए प्रस्तुत (प्रदर्शित) किया तो उस पर सत्तर लाख रियाल का भाव लगा,किंतु उसने नहीं बेचा,एक अवधि के बाद उसने दूसरी बारे उसे बेचने के लिए प्रदर्शित किया तो उसका भाव केवल तीस लाख तक पहुँचा। तो क्या उसके ऊपर उसके अंदर ज़कात अनिवार्य है ॽ
तो उन्हों ने उत्तर दिया : “यदि आप ने इस ज़मीन को व्यापार के लिए तैयार किया था,और उसकी क़ीमत सत्तर लाख के बराबर थी फिर आप उसे बाक़ी रखकर उस से अधिक कीमत की प्रतीक्षा करने लगे यहाँ तक कि उसकी क़ीमत गिर गई, और वह मात्र तीस लाख के बराबर रह गई, तो आप जिस समय उसे बेचेंगे तो पहले साल की ज़कात सत्तर लाख से निकालेंगे, और उन वर्षो की ज़कात जिनमें उसका भाव गिर गया है उनके ज़कात की मात्रा उसी के हिसाब से निकाली जायेगी,क्योंकि व्यापार के सामान की, साल पूरा होने पर क़ीमत लगाई जोयगी,और जिस मूल्य में आप ने खरीद किया है उसका एतिबार नहीं किया जायेगा,जब आप साल पूरा होने पर क़ीमत लगायेंगे तो ज़कात के अनिवार्य होने के समय जिस मूल्य के बराबर वह होगी उसकी ज़कात निकालेंगे।” मजमूउल फतावा (18/235) से समाप्त हुआ।