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मेरे पिता ने मेरी माँ को हज्ज पर ले जाने का इरादा किया तो मुझसे यह मांग किया कि मैं अपनी माँ के हज्ज से संबंधित सभी खर्च का उन्हें भुगतान करूँ, तो मैं इस पर सहमत हो गया, और हज्ज के बाद तथा उन्हें अपनी माँ के हज्ज के लागत का भुगतान करने से पहले मेरे पिता का देहांत हो गया, तो क्या हज्ज का खर्च मेरे भाईयों के लिए विरासत हो गया या मैं उसका दान (सद्क़ा) कर दूँ ताकि उन्हें (मेरे पिता) को उसका पुन्य (अज्र व सवाब) प्राप्त हो ? और यदि उसका सदक़ा करना जाइज़ है तो क्या मैं वह धन अपने छोटे भाईयों को दे सकता हूँ ताकि वे उसके द्वारा अपने लिए घर बनायें क्योंकि उनके पास अपना कोई घर नहीं है या मैं उसके द्वारा उनकी शादी कर दूँ ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जब तुम्हारे और तुम्हारे पिता के बीच यह समझौता हो गया कि वह तुम्हारी माँ को हज्ज करायें और तुम उन्हें हज्ज के खर्च भुगतान करो, चुनाँचे उन्हों ने ऐसा किया, तो हज्ज के खर्च (लागत) तुम्हारे पिता के लिए तुम्हारे ऊपर ऋण हो गये। अतः, उसे उनकी अन्य संपत्तियों और दूसरों के ऊपर उनके ऋण के समान उनकी विरासत में जोड़ दिया जायेगा, और सभी उत्तराधिकारियों पर विरासत को विभाजित कर दिया जाये गा और आप भी उन में से एक हैं।
तथा मृतक के दूसरों के ऊपर जो ऋण होते हैं उनका विरासत में सम्मिलित होना फुक़हा (धर्म शास्त्रियों) के बीच सर्व सम्मत के साथ सिद्ध है।
तथा “अल मौसूआ अल फिक़हिय्या” (11/2008) देखिये।
इस आधार पर उन खर्चों का हिसाब करके वारिसों (उत्तराधिकारियों) के बीच विभाजित कर दिया जायेगा और उनमें से प्रत्येक वारिस (उत्तराधिकारी) शरीअत में निर्धारित अपना हिस्सा लेगा।