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कुछ नमाज़ियों को देखा जाता है वह अपने सज्दा के दौरान अपने एक पांव को या दोनों पांव उठा लेता है। तो ऐसा करने का क्या हुक्म है ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सज्दा करने वाले पर अनिवार्य है कि वह उन सात अंगों पर सज्दा करे जिन पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सज्दा करने का आदेश दिया है, और वह चेहरा, जो कि पेशानी व नाक को सम्मिलित है, दोनों हथेलियां, दोनों घुटने, और दोनों पांव के किनारे।
नववी ने फरमाया : अगर उसने उनमें से एक अंग के अंदर गड़बड़ी कर दी तो उसकी नमाज़ सही नहीं है। मुस्लिम की शरह – वयाख्या - सेमसाप्त हुआ।
तथा शैख इब्ने उसैमीन ने फरमाया : ‘‘सज्दा करनेवाले के लिए अपने सातों अंगों में से कुछ भी उठाना जायज़ नहीं है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है : ''मुझे आदेश दिया गया है कि मैं सात हड्डियों पर सल्दा करूं - पेशानी पर और आप ने अपने हाथ से अपने नाक पर संकेत किया, और दोनों हाथों, दोनों घुटनों, और दोनों पांव के किनारों पर।’’ इसे बुखारी (812) और मुस्लिम (490) ने रिवायत किया है। अगर उसने अपने दोनों पैरों या उनमें से एक को, या दोनों हाथों या उनमें से एक हाथ को, या अपने माथे, या अपनी नाक को या दोनों को उठा लया, तो उसका सज्दा बातिल हो जायेगा और उसका शुमार नहीं होगा। और अगर उसका सज्दा बातिल हो गया तो उसकी नमाज़ बातिल हो जाएगी।
लिक़ाआतुल बाबिल मफतूह लिश-शैख इब्न उसैमीन 2/99.