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क्या ज़कातुल-फित्र का खाना (खाद्यान्न) पका हुआ निकाला जाएगा या कच्चा, उदाहरण के लिए, क्या हमें चावल को पका हुआ तौलना चाहिए या जब वह कच्चा होॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
ज़कातुल-फित्र बिना पकाए हुए कच्चा अनाज निकाला जाता है; क्योंकि इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा की हदीस है कि उन्होंने कहा : “अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक सा' खजूर, या एक सा' जौ ज़कातुल-फ़ित्र मुसलमानों में से गुलाम और आज़ाद, पुरूष और स्त्री, छोटे और बड़े पर अनिवार्य कर दिया है। और आपने आदेश दिया है कि यह लोगों के (ईद की) नमाज़ पढ़ने के लिए निकलने से पहले दिया जाए।’’ इसे बुखारी (हदीस संख्या : 503) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 984) ने रिवायत किया है।
तथा बुखारी (हदीस संख्या : 1510) ने अबू सईद अल-ख़ुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : “हम अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के युग में ईदुल-फ़ित्र के दिन एक सा' खाना (खाद्य पदार्थ) निकालते थे। अबू सईद ने कहा : उस समय हमारा खाना (सामान्य आहार) जौ, किशमिश, पनीर और खजूर हुआ करता था।”
जिस चीज़ को सा' से नापा जाता है वह अनाज है। जहाँ तक पके हुए खाने का संबंध है, तो उसे न नापा जाता है और न जमा (ज़खीरा) किया जाता है। इसलिए वह ज़कात में पर्याप्त नहीं है।
वह “अर-रौज़ अल-मुरबे'” (पृष्ठ : 215) में कहते हैं : “(तथा अनिवार्य है) अर्थात फ़ित्रा में (एक सा') अर्थात चार मुद्द (गेहूँ, या जौ, या उन दोनों का आटा, या उन दोनों का सत्तू), यानी गेहूँ या जौ का सत्तू। सत्तू का मतलब है जिसे भूना जाता है और फिर पीसा जाता है। आटा या सत्तू उसके दाने के वज़न के बराबर होता है। (या) एक सा' (खजूर, या किशमिश, या पनीर) जो छाछ से बनाया जाता है; क्योंकि अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं : जब अल्लाह के रसूल – सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम – हमारे बीच थे, हम ज़कातुल-फ़ित्र, एक सा' खाने का, या एक सा' जौ का, या एक सा' खजूर का, या एक सा' किशमिश का, या एक सा' पनीर का निकालते थे।” इसकी प्रामाणिकता पर बुख़ारी एवं मुस्लिम सहमत हैं।
सबसे अच्छा : खजूर, फिर किशमिश, फिर गेहूँ, फिर जो सबसे उपयोगी है, फिर जौ, फिर उन दोनों का आटा, फिर उन दोनों का सत्तू, फिर पनीर, (यदि पाँचों चीज़ें अनुपस्थिति हैं) यानी जिनका ऊपर उल्लेख किया गया है : तो (हर अनाज) जो भोजन के रूप में उपयुक्त हो, (और फल जो भोजन के रूप में उपयुक्त हो, पर्याप्त है), जैसे मक्का, बाजरा, चावल, दाल और सूखे अंजीर।
(और) पर्याप्त नहीं है (त्रुटिपूर्ण), जैसे कीड़ा लगा हुआ, गीला और पुराना जिसका स्वाद बदल गया हो।
(और) पर्याप्त नहीं है (रोटी) क्योंकि इसको नापा और जमा (ज़खीरा) नहीं किया जा सकता।” उद्धरण समाप्त हुआ।
निष्कर्ष : यह कि पके हुए चावल को ज़कातुल-फ़ित्र के रूप में निकालना जायज़ नहीं है, बल्कि बिना पकाए हुए कच्चे चावल से ज़कातुल-फ़ित्र को निकाला जाएगा।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।