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तश्रीक़ के दिन

10-09-2016

प्रश्न 36950

तश्रीक़ के दिन कौन-कौन से हैं? और वे कौनसी विश्ष्टिताएं हैं जो इन्हें अन्य दिनों से उत्कृष्ट करती हैं?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

तश्रीक़ के दिन ज़ुलहिज्जा के महीने का ग्यारहवां, बारहवां और तेरहवां दिन है। इनकी प्रतिष्ठा के बारे में कई आयते व हदीसें वर्णित हैं। जिन में से कुछ निम्नलिखत हैं :

1 – अल्लाह तआला का फरमान है :

( واذكروا الله في أيام معدودات )

‘’और गिने चुने कुछ दिनों में अल्लाह तआला का ज़िक्र करो।”

अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा का कहना है कि ‘’गिने चुने कुछ दिनों’’ से मुराद तश्रीक़ के दिन हैं, और अधिकतर उलमा ने इसी को चयन किया है।

2 – तश्रीक़ के दिनों के संबंध में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन है :

“ये खाने, पीने और अल्लाह सर्वशक्तिमान का ज़िक्र (स्मरण) करने के दिन हैं।”

तश्रीक़ के दिनों में अल्लाह तआला के ज़िक्र व गुणगान का जो आदेश है उसके अनेक प्रकार हैं :

· फर्ज़ नमाज़ों के बाद तक्बीरें कहकर अल्लाह तआला का ज़िक्र करना। यह कार्य उलमा की बहुमत के निटक तश्रीक़ के अंतिम दिन तक धर्मसंगत है।

· क़ुर्बानी का जानवर ज़बह करते समय बिस्मिल्लाह और तक्बीर कहकर अल्लाह तआला का ज़िक्र करना। क़ुर्बानी और हदी (यानी हज्ज की क़ुर्बानी) के जानवरों को ज़बह करने का समय तश्रीक़ के अंतिम दिन तक रहता है।

· खाने और पीने पर अल्लाह तआला का ज़िक्र करना। क्योंकि खाने और पीने के बारे में धर्मसंगत यह है कि उसके शुरू में बिस्मिल्लाह कहा जाए और उसके अंत पर अल्लाह की प्रशंसा की जाए। हदीस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : ‘’निःसंदेह अल्लाह तआला बन्दे से इस बात पर प्रसन्न होता है कि वह खाना खाए तो उसपर अल्लाह की प्रशंसा करे, और पानी पिए तो उसपर अल्लाह की प्रशंसा करे।‘’ इसे मुस्लिम (हदीस संख्याः 2734) ने रिवायत किया है।

· तश्रीक़के दिनों मेंजमरातकोकंकरियाँमारतेसमयअल्लाहुअक्बरकहकरअल्लाहकाज़िक्रकरना।यहकेवलहाजियों केलिए है।

· अल्लाह तआला का सामान्य रूप से ज़िक्र करना, क्योंकि तश्रीक़ के दिनों में अल्लाह तआला का अधिक से अधिक ज़िक्र करना मुस्तहब है। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु मिना में अपने मंडप के अन्दर तक्बीर कहते थे, इसे सुनकर लोग भी तक्बीरें कहते थे जिसकी वजह से मिना तक्बीरों से गूंज उठता था। अल्लाह तआला का यह फरमान भी है :

فإذا قضيتم مناسككم فاذكروا الله كذكركم آبائكم أو أشد ذكراً . فمن الناس من يقول ربَّنا آتنا في الدنيا وماله في الآخرة من خلاق ومنهم من يقول ربنا آتنا في الدنيا حسنة وفي الآخرة حسنة وقنا عذاب النار

‘’फिर जब तुम हज्ज के अर्कान पूरा कर चुको तो अल्लाह तआला का ज़िक्र करो जिस तरह तुम अपने बाप दादों का ज़िक्र किया करते थे, बल्कि उससे भी अधिक, कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं, ऐ हमारे रब हमें दुनिया में दे, ऐसे लोगों का आखिरत (परलोक) में कोई हिस्सा नहीं। और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं, ऐ हमारे रब हमें दुनिया में भी नेकी दे और आखिरत में भी भलाई प्रदान कर और हमें नरक के अज़ाब से छुटकारा दे।‘’ (सूरतुल बक़राः 200-201)

बहुत से सलफ (पूर्वजों) ने तश्रीक़ के दिनों में अधिक से अधिक उपर्युक्त दुआ करना मुस्तहब समझा है।

इसी तरह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कथनः (तश्रीक़ के दिन खाने पीने और अल्लाह तआला का ज़िक्र करने के दिन हैं) में यह संकेत है कि : ईद के दिनों में खाने और पीने से अल्लाह तआला कि आज्ञाकारिता और उसके ज़िक्र पर सहायता ली जाएगी, और यह नेमतों के प्रति पूर्ण आभार प्रकट करने के अध्याय से है कि उनके द्वारा अल्लाह की अज्ञाकारिता पर मदद ली जाए।

अल्लाह ने अपनी किताब (क़ुरआन) में पाकीज़ा (हलाल) चीजें खाने और उसका शुक्र करने का आदेश दिया है। अतः जो मनुष्य अल्लाह की नेमतों से उसकी अवज्ञा पर मदद हासिल करे तो वास्तव में उसने अल्लाह की नेमत का उपेक्षा और कृतध्नता किया और उसे कुफ्र में परिवर्तित कर दिया। उससे नेमतों का छिन जाना ही उचित है। जैसाकि कहा गया है :

जब तुम नेमतों से माला माल हो तो तुम उसकी रक्षा करो क्योंकि गुनाह नेमतों को खत्म कर देते हैं। अल्लाह की कृतज्ञता कर नेमतों को सदा बाक़ी रखो, क्योंकि अल्लाह की कृतज्ञता उसके प्रकोप को समाप्त कर देती है।

3 – नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने तश्रीक़ के दिनों का रोज़ा रखने से मना फरमाया है :

‘’इन दिनों का रोज़ा न रखो, क्योंकि ये खाने, पीने और अल्लाह का ज़िक्र करने के दिन हैं।‘’ इसे अहमद (हदीस संख्याः10258) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने इसे अस-सिलसिला अस-सहीहा (हदीस संख्याः 3573) में सही कहा है।

देखिएः इब्ने रजब की किताब ‘’लताइफुल मआरिफ (पृष्ठः 500)

ऐ अल्लाह हमें भले कार्यों की तौफीक़ दे, मृत्यु के समय हमें सुदृढ़ता प्रदान कर और ऐ बहुत ज़्यादा देने और प्रदान करनेवाले, हम पर अपनी कृपा से दया कर।

और हर प्रकार की प्रशंसा केवल अल्लाह के लिए योग्य है जो सर्व संसार का पालन पोषण करने वाला है।

हज्ज और उम्रा मनाक़िब (गुण)
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