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यदि महिला के पास छोट बच्चे हैं, जिनमें एक नवजात शिशु (दूधपीता बच्चा) है जिसको उसके लिए अपने साथ हज्ज में ले जाना कठिन है, तो क्या इस स्थिति में उस पर हज्ज करना अनिवार्य है या वह उसे विलंब करसकती है ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
"इस महिला पर जिसकी यह स्थिति है कोई हरज (गुनाह) नहीं है कि वह हज्ज को अगले साल तक विलंब करदे।सर्व प्रथम: इसलिए कि बहुत से विद्वानों का कहना है कि: हज्ज तुरंत (तत्कालीन) ही अनिवार्य नहीं है,और मनुष्य के लिए उस पर सक्षम होने के उपरांत भी उसे विलंब करना जाइज़ है। दूसरी बात: यह महिला अपने बच्चों के देखरेख के लिए घर पर ही ठहरी रहने की ज़रूरतमंद है,और अपने बच्चों की देखरेख करना महान भलाईयों में से है।पैबंर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "महिला अपने पति के घर में निरीक्षक (निगरानी करने वाली) है और उससे उसके अधीनस्थ के बारे में पूछताछ किया जायेगा।"इसलिए मैं कहता हूँ: हव अगले साल तक प्रतीक्षा करे,तथा हम अल्लाह तआला से प्रार्थना करते हैं कि उसके लिए उसके मामले को आसान करदे,और उसके लिए उस चीज़ को मुक़द्दर करदे जिसमें भलाई हो।"