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उस आदमी का क्या हुक्म है जो रमज़ान के दिन में शैतान को गाली देता है ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणान केवल अल्लाह के लिए योग्य है। मोमिन के लिए उचित नहीं है कि वह अपनी ज़ुबान को दुर्वचन और गाली गलौज का आदी बनाए, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : मोमिन ताना देने वाला, लानत करने वाला, अपशब्द बकने वाला और अभद्र नहीं होता।'' इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह तिर्मिज़ी में इसे सही क़रार दिया है।
रोज़ेदार को दूसरे लोगों से अधिक अच्छा और शिष्ट व्यवहार अपनाने का आदेश दिया गया है, इसीलिए उसके ऊपर बल दिया गया है कि वह गाली गलौज को त्याग दे, भले ही वह सच्चा हो। इसीलिए पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रोज़ेदार को हुक्म दिया है कि वह अति का सामना उसी के समान अति से न करे, बल्कि यदि कोई उसे बुरा भला कहे या उससे लड़ाई झगड़ा करे, तो वह कह दे कि : मैं रोज़े से हूँ, मैं रोज़े से हूँ।'' (सहीह बुखारी व सही मुस्लिम)
जबकि जो व्यक्ति अति का उत्तर उसी के समान से देता है तो ऐसा करना जायज़ है, अल्लाह तआला ने फरमाया :
فَمَنِ اعْتَدَى عَلَيْكُمْ فَاعْتَدُوا عَلَيْهِ بِمِثْلِ مَا اعْتَدَى عَلَيْكُمْ [البقرة : 194].
''जो तुम पर आक्रमण करे, तुम भी उस पर उसी के समान आक्रमण करो।'' (सूरतुल बक़रा : 194)
लेकिन रोज़ेदार को फज़ायले आमाल (प्रतिष्ठा वाले कामों) को अपनाने, और बुरे कामों से रूकने का दूसरों से अधिक हुक्म दिया गया है।
मोमिन को यदि शैतान की ओर से बुराई पर उकसाहट और वसवसा (बुरा ख्याल) पहुँचे तो वह उसे गाली देकर कोई लाभ नहीं प्राप्त करेगा, बल्कि उसके लिए धर्म संगत यह है कि वह धिक्कारित शैतान से अल्लाह की पनाह हासिल करे।
अल्लाह तआला ने फरमाया :
وَإِمَّا يَنْزَغَنَّكَ مِنَ الشَّيْطَانِ نَزْغٌ فَاسْتَعِذْ بِاللَّهِ إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ [فصلت : 36].
''और यदि शैतान की तरफ़ से कोई शक पैदा हो जाये तो अल्लाह की पनाह चाहो। बेशक वह बड़ा सुनने वाला जानने वाला है।'' (सूरत फुस्सिलत : 36)
तथा अबुल मलीह एक आदमी से रिवायत करते हैं कि उसने कहा : मैं नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पीछे (सवारी पर बैठा हुआ था), तो आपकी सवारी को ठोकर लगी, तो मैं ने कहा : शैतान का सर्वनाश हो। तो आप ने फरमाया : ''यह न कहो कि शैतान का सर्वनाश हो, क्योंकि यदि तुम ऐसा कहोगे तो वह फूल जायेगा यहाँ तक कि (फूल कर) घर के समान हो जायेगा, और कहेगा : यह मेरी शक्ति से हुआ है! बल्कि ''बिस्मिल्लाह'' (अल्लाह के नाम से) कहो। क्योंकि अगर तुम ऐसा कहो गे तो वह छोटा (संकुचित) हो जायेगा यहाँ तक कि मक्खी के समान हो जायेगा।'' इसे अहमद (हदीस संख्या : 20068) और अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4982) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह अबू दाऊद में इसे सहीह कहा है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।