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क्या यह सही है कि मैं शव्वाल के छः रोज़ों को सोमवार और जुमेरात के दिन रखूँ ताकि मुझे सोमवार और जुमेरात के दिन के रोज़े का भी सवाब मिले ॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जी हाँ, इसमें कोई हरज (आपत्ति) की बात नहीं है, और आपके लिए शव्वाल के छः दिनों के रोज़ों और सोमवार और जुमेरात के रोज़ों का सवाब लिखा जायेगा।
शैख मुहम्मद बिन उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“यदि इन छः दिनों का रोज़ा सोमवार या जुमेरात के दिन पड़ जाता है तो वह (शव्वाल के) छः दिनों के सवाब की नीयत से, और सोमवार या जुमेरात के दिन के सवाब की नीयत से दोनों का सवाब पायेगा, क्योंकि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है: “कामों का आधार नीयतों पर है, और हर मनुष्य के लिए वही चीज़ है जिसकी उसने नीयत की है।” अंत हुआ।
फज़ीलतुश्शैख मुहम्मद बिन उसैमीन रहिमहुल्लाह।