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साँस की तकलीफ़ वाले कुछ रोगियों को रोज़े के दौरान कृत्रिम ऑक्सीजन लेने की आवश्यकता होती है। क्या इसका रोज़े पर कोई प्रभाव पड़ता हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
ऑक्सीजन गैस, जो कुछ रोगियों को दी जाती है, रोज़े को बातिल (अमान्य) नहीं करती है। क्योंकि इस आक्सीजन में कोई अन्य पदार्थ नहीं मिलाया जाता है, इसलिए इसका हुक्म प्राकृतिक हवा में साँस लेने के हुक्म के समान है।
इसलिए “इस्लामिक फ़िक़्ह परिषद” के एक बयान में कहा गया है :
“निम्नलिखित चीज़ें, रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों में से नहीं मानी जाती हैं : ... ऑक्सीजन गैस।” उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा देखें : “मजल्लह मजमउल-फ़िक़्ह अल-इस्लामी” (10/2/96, 454), डॉ. अहमद खलील द्वारा “मुफ़त्तिरात अस-सियाम अल-मुआसिरह” (पृष्ठ : 50).