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मेरे पास भूमि का एक टुकड़ा है जो कि व्यापार के सामान में से है, मैं ने उस पर साल बीतने के छः दिन पहले उसे बेच दिया और पैसे ले लिया। मैं उसकी ज़कात का हिसाब कैसे लगाऊँ ? क्या मैं उस माल की ज़कात छः दिनों के गुज़रने के बाद निकालूँ या मैं माल पर पूरे एक साल के गुज़रने की प्रतीक्षा करूँ ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
आदमी के लिए अपने माल को साल बीतने से पहले बेचना जायज़ है यदि वह उसका ज़रूरतमंद है जबकि उसका मक़सद ज़कात से भागने और उससे बचने का न हो।
क़ुर्तुबी रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“विद्वानों ने इस बात पर सर्वसहमति व्यक्त की है कि आदमी के लिए साल के बीतने से पहले अपने माल में बिक्री और हिबा (उपहार) के द्वारा तसर्रूफ (हेर-फेर) करना जायज़ है यदि उसकी नीयत ज़कात से भागना नहीं है।” अंत हुआ। ‘‘अल-जामिओ लि-अहकामिल क़ुरआन” (9/236).
यदि यह माल तिजारत के लिए विशिष्ट था और उसने उसे बेच दिया : तो यदि साल पूरा होने पर निसाब को पहुँच गया है तो वह उसकी ज़कात निकालेगा, और यदि वह माल निसाब को नहीं पहुँचता है मगर उसे उस माल के साथ मिलाने पर जो उसके पास है, या उसके पास जो माल है वह निसाब को नहीं पहुँचता है मगर उसे इस माल के साथ मिलाने पर, तो वह उसे इसके साथ मिला लेगा और उसकी ज़कात अदा करेगा, क्योंकि एतिबार तिजारत के लिए तैयार किए गए सामान के वित्तीय मूल्य का है।
इब्ने मुफ्लेह रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“तिजारत के सामान के मूल्य को सोने और चाँदी में से हर एक के साथ मिलाया जायेगा, साहिबुल मुस्तौइब और शैख ने इसे निश्चित रूप से वर्णन किया है। और (शैख ने) इसका यह कारण और तर्क दिया है कि उन दोनों (यानी सोने और चाँदी) में से प्रत्येक के द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। तथा उन्हों ने फरमाया : इस बारे में मुझे किसी मतभेद की जानकारी नहीं है। तथा फरमाया : और यदि वह (संपत्ति) सोना, चाँदी और तिजारत के सामान पर आधारित है, तो निसाब पूरा करने के लिए सभी चीज़ों को एक साथ मिला दिया जायेगा।” अंत हुआ। “अल-फुरूअ” (4/138).
तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“व्यापार के सामान की क़ीमत (मूल्य) में ज़कात अनिवार्य होती है, अतः यदि व्यापार के सामान को सोने या चाँदी से परिवर्तित कर दिया गया तो साल की गिनती का एतिबार समाप्त नहीं होगा, इसी तरह यदि सोने या चाँदी को तिजारत के सामान से बदल लिया जाये तो यही हुक्म होगा ; क्योंकि तिजारत के सामान के मूल्य में ज़कात अनिवार्य होती है उसी सामान के अंदर नहीं, तो गोया ऐसे है जैसे कि दिर्हम को दिर्हम से बदला गया है, तो सोना, चाँदी और तिजारत के सामान एक ही चीज़ समझे जायेंगे, इसी तरह यदि वह सोने को चाँदी से बदल ले जबकि उन दोनों का मकसद तिजारत है, तो वे दोनों एक ही प्रकार की चीज़ के समान होंगे।” अंत हुआ।“अश्शरहुल मुम्ते” (6/9)
तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया :
एक आदमी ने अपने ज़कात के समय आने से दो महीने पहले दुकान को बेच दिया, तो ज़कात का भुगतान कौन करेगा ?
तो उन्हों ने अपने इस कथन के द्वारा उत्तर दिया :
“यदि ज़कात वाले धन की मिल्कियत साल पूरा होने से पहले स्थानांतरित हो गई : तो अगर वह व्यापार का सामान था जैसा कि उसने कहा है, तो पहला मालिक अपनी संपत्ति के साथ अपने व्यापार के सामान की ज़कात अदा करेगा।
इसका उदाहरण यह है कि : एक आदमी के पास तिजारत के लिए एक भूमि है, तो उसने उसे ज़कात का समय आने से दो महीने पहले बेच दिया, तो ज़कात का समय आने पर उसके ऊपर अनिवार्य होगा कि वह उन पैसों की ज़कात निकाले जिनके बदले में उसने उस ज़मीन को बेचा है, लेकिन अगर उसने उसे पैसों के बदले बेच दिया फिर साल पूरा होने से पहले उन पैसों से अपने लिए आवास खरीद लिया तो उस पर ज़कात अनिवार्य नहीं है . . .” अंत हुआ।
“मजमूओ फतावा व रसाइल इब्ने उसैमीन” (13/1507)
उपर्युक्त बातों के आधार पर :
साल पूरा होने पर आपके ऊपर उस भूमि की ज़कात निकालना अनिवार्य है जिसे आप ने बेच दी है, अर्थात बिक्री के छः दिनों के बाद, और आप के लिए उसे निकालने के लिए एक नये साल का इंतिज़ार करना जायज़ नहीं है।
अधिक जानकारी के लिए : देखिए प्रश्न संख्या : (38886) के उत्तर।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक जानता है।