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जिस व्यक्ति के शौचालय में जाने और इस्तिंजा करने के बाद पेशाब की बूँदें गिरती हैं, उसके बारे में शैख इब्ने उसैमीन का फत्वा यह है कि वह व्यक्ति इस्तिंजा करेगा, फिर जब नमाज़ का समय प्रवेश करेगा तो उसके ऊपर वुज़ू करना अनिवार्य है।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यदि उसे सलसुल बौल (मूत्र असंयम) कि शिकायत निरंतर है, वह उसके नमाज़ पढ़ने की हालत में भी बंद नही होता है, तो वह उसी वुज़ू से अस्र की नमाज़ पढ़ेगा, और उसके ऊपर वुज़ू को लौटाना अनिवार्य नहीं है।
लेकिन यदि उसका सलसुल बौल बंद हो जाता है, फिर दोनों नमाज़ों के बीच के अंतराल में पेशाब की कुछ बूँदें निकलती हैं तो उसके ऊपर वुज़ू दोहराना अनिवार्य है। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।