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हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।जब आप ने शादी कर ली है और आप को पता था कि यह औरत नौकरी कर रही है, और आप इससे सहमत थे, और आप ने उसके ऊपर अपनी नौकरी छोड़ने की शर्त नहीं लगाई : तो अब आप को यह अधिकार नहीं है कि अपनी शादी के बाद उसे उस काम को छोड़ने पर मजबूर करें।
‘‘अल-रौज़ुल मुर्बे’’ और उसके फुटनोट में आया है : ‘‘(उसके (अर्थात पति के) लिए उसे (यानी पत्नी को) अपने आप को किराये पर देने से रोकने का अधिकार है) क्योंकि इसकी वजह से उसका हक़ फौत हो जायेगा, इसलिए उसका पति की अनुमति के बिना अपने आप को किराये पर देना सही नहीं है, और यदि वह निकाह से पहले ही अपने आप को किराये पर दे चुकी है तो यह सही है और यह लागू होगा।’’
फुटनोट में कहा है :
‘‘अर्थात किराये पर देना सही है और उसका अनुबंध अनिवार्य हो गया, और पति को उस अनुबंध को निरस्त करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि उसके लाभ का मालिक एक ऐसे अनुबंध के द्वार बना जा चुका है जो उसकी शादी से पहले है।’’ इब्ने क़ासिम की किताब ‘‘हाशियतुर् रौज़िल मुर्बे’’ (6/444) से अंत हुआ। तथा ‘‘अल-इंसाफ’’ (8/267) देखिए।
तथा शैख ज़करिया अंसारी रहिमहुल्लाह कहते हैं :
‘‘यदि आज़ाद औरत अपने आप को पति की अनुमति के बिना दूघ पिलाने या उसके अलावा के लिए किराये पर दे दे तो जायज़ नहीं है, इसलिए कि उसका समय उसके हुक़ूक़ में व्यस्त होता है . . . , परंतु उसकी अनुमति के साथ जायज़ है।
और यदि उसने उससे इस हाल में शादी की है कि वह भाड़े पर थी तो पति उसे उस चीज़ को पूरा करने से नहीं रोकेगा जिसकी वह प्रतिबद्ध हो चुकी है, ऐसे ही जैसेकि उसने अपने आप को उसकी अनुमति के साथ किराये पर दिया है।’’ अंत हुआ।
‘‘असनल मतालिब’’ (2/409).
इस आधार पर :
पति के लिए यह अधिकार नहीं है कि वह उसके साथ उस शहर से सफर कर जाए जिसमें उसकी पत्नी किसी अनुबंध की प्रतिबद्ध है जिसके बारे में उसे उसके साथ शादी करने से पूर्व जानकारी थी, या उसने उसे इस बारे में अनुमति प्रदान की थी।
‘‘मि-नहुल जलील’’ में है :
‘‘दाया (यानी दूसरे के बच्चे को दूध पिलाने वाली औरत) के पति को उसके साथ दूध पीनेवाले बच्चे के घर वालों के शहर से सफर करने से रोका गया है . . . , और यदि पति दाया को लेकर सफर करना चाहता है : तो यदि उसने अपने पति की अनुमति से अपने आप को दूध पिलाने के लिए किराये पर दिया है, तो पति को इसका अधिकार नहीं है। और यदि उसने उसकी अनुमति के बिना किराये पर दिया था, तो उसे इसका अधिकार है, और किराये पर देने का अनुबंध निरस्त हो जायेगा।’’
‘‘मि-नहुल जलील’’ (7/471) से अंत हुआ।
उपर्युक्त बातों के आधार पर :
अब मामला आपके और आपकी पत्नी के बीच है, यदि वह अपनी नौकरी छोड़ने पर सहमत है ताकि वह आपके साथ यात्रा करे, तो अच्छा है। और यदि वह स्वीकार न करे, तो आपके लिए संभव है कि अपनी पत्नी के निवास और उसके काम की जगह पर कोई उचित काम तलाश कर लें।
यदि आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं और उसे तलाक़ देने पर तत्पर हैं, तो आपको यह अधिकार नहीं है कि उसे उसके उस मह्र से वंचित कर दें जिसे आप ने उसके लिए निर्धारित किया था, और वह अपनी नौकरी न छोड़ने की वजह से अवज्ञाकारी नहीं है ; बल्कि या तो आप उसे रोके रखें, और या तो उसे तलाक़ दे दें और उसे उसका हक़ दें और वह निर्धारित मह्र का आधा भाग है। हम अल्लाह तआला से प्रश्न करते हैं कि वह आपके लिए आपकी पत्नी को सुधार दे और आप दोनों को भलाई पर एकत्रति कर दे।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।