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मैं क्रिसमस का त्योहार नहीं मनाता हूँ, किंतु मेरी एक बेटी है जो 11 वर्ष की है वह क्रिसमस के पेड़ को पसंद करती है, तो क्या मेरे लिए जाइज़ है कि उसके लिए यह पेड़ लेकर आऊँ और सजावट के रूप में घर में रखूँ या इसकी अनुमति नहीं है ॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
क्रिसमस वृक्ष ईसाइयों के उत्सव और उनके जश्न से संबंधित एक प्रतीक है, यहाँ तक कि उसे क्रिसमस की ओर मंसूब किया जाता है, और कहा जाता है कि सरकारी (आधिकारिक) तौर पर इसका इस्तेमाल सोलहवीं शताब्दी में जर्मनी में 1539 ई. में स्ट्रासबर्ग कैथेड्रल में शुरू हुआ।
काफिरों की इबादतों,या उनके प्रतीकों, या उनके कृत्यों में से किसी भी चीज़ के अंदर समानता अपनाना या उनकी नकल करना जाइज़ नहीं है,क्योंकि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लाम का फरमान है : “जिस व्यक्ति ने किसी क़ौम (जाति) की छवि अपनाई, तो वह उन्हीं में से है।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्याः 4031) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने इर्वाउल गलील (5/109) में सही कहा है।
अतः इस वृक्ष को मुसलमान के घर में रखना जाइज़ नहीं है भले ही वह क्रिसमस को न मनाता हो ;क्योंकि उसके रखने में निषिद्ध (वर्जित) समानता, या काफिरों के एक धार्मिक प्रतीक का सम्मान पाया जाता है।
माता पिता पर अनिवार्य यह है कि वे बच्चों की सुरक्षा करें और उन्हें हराम से रोक कर रखें और उन्हें जहन्नम की आग से बचाएं, जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान हैः
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا قُوا أَنْفُسَكُمْ وَأَهْلِيكُمْ نَاراً وَقُودُهَا النَّاسُ وَالْحِجَارَةُ عَلَيْهَا مَلائِكَةٌ غِلاظٌ شِدَادٌ لا يَعْصُونَ اللَّهَ مَا أَمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ [التحريم: 6]
“ऐ ईमान वालो! तुम अपने आप को और अपने परिवार वालों को उस आग से बचाओ जिस का ईंधन इंसान हैं और पत्थर, जिस पर कठोर दिल वाले सख्त फरिश्ते तैनात हैं, जिन्हें अल्लाह तआला जो हुक्म देता है उसकी अवहेलना नहीं करते बल्कि जो हुक्म दिया जाए उसका पालन करते हैं।” (सूरतुत्तहरीम : 6)
तथा इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लाम से रिवायत किया कि आप ने फरमाया : “सावधान ! तुम सब के सब निगहबान हो, और तुम सबसे उसकी प्रजा के बारे में पूछा जायेगा,अतः लोगों का अमीर निगरां और निरीक्षक है और उससे उसकी प्रजा के बारे में पूछा जायेगा,आदमी अपने घर वालों का ज़िम्मेदार है और उससे उनके बारे में पूछा जायेगा,औरत अपने पति के घर और उसकी औलाद का निरीक्षक है और उस से उनके बारे में पूछताछ होगी,गुलाम (दास) अपने स्वामी के माल का निरीक्षक है और उस से उसके बारे में पूछा जायेगा, सुनो! तुम सब के सब निरीक्षक हो और प्रत्येक से उसकी प्रजा (अधीनस्थ) के बारे में पूछा जायेगा।”इसे बुखारी (हदीस संख्याः 7138) और मुस्लिम (हदीस संख्याः 1829) ने रिवायत किया है।
तथा बुखारी (हदीस संख्याः 7151) और मुस्लिम (हदीस संख्याः 142) ने माक़िल बिन यसार अल-मुज़नी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा कि मैं ने अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुना : “जिस बंदे को भी अल्लाह तआला किसी प्रजा पर निरीक्षक बनाता है फिर वह जिस दिन मरता है तो इस हाल में मरता है कि अपने प्रजा के साथ धोखा करने वाला होता है,तो अल्लाह तआला उसके ऊपर जन्नत को हराम कर दिया।”
आपको चाहिए कि अपनी बेटी से इस बात को स्पष्ट रूप् से बता दें कि काफिरों (नास्तिकों) की समानता या छवि अपनाना हराम,नरक वालों का विरोध करना अनिवार्य,और जिन कपड़ों,पोशाकों,या प्रतीकों और कृत्यों का वे सम्मान करते हैं उनका सम्मान करना घृणित है ; ताकि उसका पालन पोषण और प्रशिक्षण इस हाल में हो कि वह अपने धर्म का सम्मान करने वाली, उस पर स्थिर रहने वाली और वला (अर्थात अल्लाह के लिए दोस्ती व वफादारी) और बरा (अर्थात अल्लाह के लिए दुश्मनी व बेज़ारी) के अक़ीदे (सिद्धांत) पर स्थापित हो जो कि तौहीद (एकेश्वरवाद) के स्तंभों में से एक स्तंभ और ईमान के मूल आधारों में से एक मूल आधार है।