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इससे पहले कि कोई व्यक्ति अपना वुज़ू पूरा करता, घर की घंटी बजी और वह दरवाज़ा खोलने चला गया, और प्रवेश करने वाले से कहा : रुको यहाँ तक कि मैं वुज़ू कर लूँ। यहाँ प्रश्न यह है कि : क्या वह अपना वुज़ू पूरा करेगा या उसे फिर से शुरू करना पड़ेगाॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
इस मुद्दे पर बातचीत : निरंतरता के मानदंड को परिभाषित करने और इस तथ्य पर आधारित है कि यह वुज़ू के सही होने के लिए एक शर्त है।
जिन लोगों का यह विचार है कि निरंतरता वुज़ू के सही होने के लिए एक शर्त है, उन्होंने निरंतरता के मानदंड और वुज़ू के अंगों के बीच प्रभावी अंतराल (अलगाव) को परिभाषित करने में मतभेद किया है।
हनाबिला रहिमहुमुल्लाह का मत यह है कि वुज़ू में निरंतरता का मानदंड यह है कि : एक व्यक्ति को किसी अंग को धोने में इतनी देरी नहीं करनी चाहिए कि उससे पहले वाला अंग एक मध्यम (औसत) समय में सूख जाए।
अल-मिरदावी रहिमहुल्लाह ने “अल-इंसाफ” (1/141) में - वुज़ू के कार्यों को लगातार करने के बारे में - कहा : इसका मतलब यह है कि किसी अंग के धोने में इतनी देरी न की जाए कि उससे पहले धोया गया अंग सूख जाए। इससे अभिप्राय है : एक मध्यम (औसत) समय के भीतर..
यही हनाबिला का मत है, और यही उनकी बहुमत का दृष्टिकोण है।”
दूसरा कथन (मत) यह है कि : वुज़ू में निरंतरता के मानदंड को प्रभाषित करने के लिए उर्फ-आम (प्रथा) को देखा जाएगा। अतः प्रथागत रूप से जिसे एक स्पष्ट अंतराल माना जाता है : तो वह ऐसा अंतराल है जो निरंतरता को काट देगा। तथा जिसे प्रथागत रूप से एक अंतराल नहीं माना जाता है, तो वह निरंतरता को प्रभावित करने वाला अंतराल नहीं है। यह कथन इमाम अहमद रहिमहुल्लाह से एक रिवायत है।
“अल-इंसाफ” (1/141) के लेखक ने कहा : और उनसे – अर्थात् इमाम अहमद से – वर्णित है कि देर तक ठहरने का एतिबार उर्फ़ (प्रथा) के आधार पर होगा।” उद्धरण समाप्त हुआ।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा : “कुछ विद्वानों - और यही इमाम अहमद से एक रिवायत है - ने कहा : लंबे अंतराल का एतिबार उर्फ़ (प्रथा) के आधार पर होगा, वुज़ू के अंगों के सूखने के आधाप पर नहीं। अतः वुज़ू में शरीर के अंगों को एक-दूसरे से पास समय में धोना चाहिए। अगर लोग कहते हैं कि इस आदमी ने अपने वुज़ू (के अंगों के धुलने के कार्य) को अलग-अलग नहीं किया है, बल्कि उसका वुज़ू मिला हुआ (लगातार) है, तो उसे निरंतरता के साथ वुज़ू करने वाला माना जाएगा। तथा विद्वानों ने बहुत-से मुद्दों के संबंध में उर्फ़ (रीति और प्रथा) का एतिबार किया है।
लेकिन उर्फ (प्रथा) को नियंत्रति करना मुश्किल हो सकता है, इसलिए इस हुक्म को अंगों के सूखने से संबंधित करना नियंत्रण के अधिक निकट है।” अश-शर्ह अल-मुम्ते'” (1/193) से उद्धरण समाप्त हुआ।
प्रश्न में जो मात्र दरवाज़ा खोलने का उल्लेख किया गया है, उसे निरंतरता को बाधित करने वाला अंतराल नहीं माना जाएगा, चाहे हम निरंतरता को निर्धारित करने में इस मानदंड को मानें या उस नियम को। क्योंकि दरवाजा खोलने में आमतौर पर कुछ ही समय लगता है, और उसके लिए अपने धुले हुए अंगों के सूखने से पहले अपने वुज़ू की तरफ़ लौटना संभव है।
लेकिन अगर वह किसी और चीज़ में व्यस्त हो जाता है, यहाँ तक कि अंतराल लंबा हो जाता है : तो ऐसी स्थिति में उसे अपना वुज़ू नए सिरे से शुरू करना चाहिए।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।