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क्या नाजायज़ (अवैध) बच्चे की ओर से अक़ीक़ा किया जाए गाॽ

26-09-2020

प्रश्न 228538

क्या नाजायज़ (अवैध) बच्चे की ओर से अक़ीक़ा किया जाएगाॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सामान्य रूप से बिना किसी विशेष परिस्थिति के हदीस में नवजात शिशु की ओर से अक़ीक़ा करने पर प्रोत्साहित किया गया है।

समुरह बिन जुनदुब से रिवायत है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः ''हर बच्चा अपने अक़ीक़ा का बंधक होता है, जिसे उसके जन्म के सातवें दिन ज़ब्ह किया जायेगा, उसका सिर मूँडा जायेगा और उसका नाम रखा जायेगा।'' इसे अबूदाऊद (हदीस संख्या : 2838) और तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1522) ने रिवायत किया है और इमाम अल्बानी ने इर्वाउल-ग़लील (4/385) में इसे सहीह क़रार दिया है।

उम्मे कुर्ज़ से वर्णित है कि उन्होंने अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से अक़ीक़ा के बारे में प्रश्न किया, तो आप ने फरमाया किः ''लड़के की ओर से दो बकरियाँ और लड़की की ओर से एक बकरी है।'' इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्याः 1516) ने रिवायत किया है और उन्हेंने कहा है किः यह हदीस सहीह है।

व्यभिचार के परिणाम स्वरूप जन्म लेनेवाला बच्चा इन हदीसों के सामान्य अर्थ में शामिल है, इसलिए उसकी ओर से अक़ीक़ा किया जाएगा।

और जब वह अपनी माँ की ओर मनसूब किया जाएगा, तो उसकी माँ उसकी ओर से अक़ीक़ा करेगी।

शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़ रहिमहुल्लाहु तआला से प्रश्न किया गयाः

''क्या माँ के लिए अपने नाजायज़ बच्चे की ओर से अक़ीक़ा करना जायज़ है, और क्या उसको नफ्क़ा (भरणपोषण) का अधिकार प्राप्त हैॽ

तो शैख ने उत्तर दियाः हाँ, वह अक़ीक़ा कर सकती है, उसके लिए मुस्तहब है कि वह अपने बच्चे की ओर से अक़ीक़ा करे, और उसके लिए अनिवार्य है कि वह उस पर खर्च करे अगर वह सक्षम है। अगर वह सक्षम नहीं हैः तो उसे राज्य में प्रशिक्षण करनेवालो के हवाले कर दिया जाएगा। यदि वह सक्षम हैः तो वही उसका प्रशिक्षण एवं पोषण करेगी और अच्छी तरह से देख-रेख करेगी, और उसकी ओर से अक़ीक़ा करेगी। और उसके लिए अनिवार्य है कि वह अच्छी तरह से उसका प्रशिक्षण और पोषण करे और जो कुकर्म उसने किया है उससे अल्लाह से क्षमा याचना करे। और यह बच्चा उसी की ओर मंसूब होगा।

और जिसने उसके साथ जि़ना (व्यभिचार) किया है; उसके लिए तौबा करना अनिवार्य है, और उसके ऊपर कुछ भी भरणपोषण अनिवार्य नहीं है। और वह उसका अपना बेटा नहीं है, बल्कि वह नाजायज़ बच्चा है, उसके लिए अल्लाह तआला से माफी (क्षमा) मांगना अनिवार्य है। और वह बच्चा उसी (महिला) का है, वह उसी की ओर मंसूब किया जाएगा, और उसी के ज़िम्मे उसका खर्चा है।''

''मजमूअ फतावा शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़'' (28/124) से समाप्त हुआ।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

अक़ीक़ा और नवजात शिशु के प्रावधान
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