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वह कौन सा ज्ञान है जिससे लाभान्वित हुआ जा सकता हैॽ जो इस हदीस में संदर्भित है कि : (जब आदम के बेटे (यानी मनुष्य) की मृत्यु हो जाती है, तो उसके कार्य का सिलसिला बाधित हो जाता है सिवाय तीन कार्यों के ...” क्या यह केवल शरई ज्ञान तक सीमित है, या उपयोगी सांसारिक ज्ञान तक फैला हुआ हैॽ मेरे पास डॉक्टरेट की डिग्री है और अल्लाह ने अपनी कृपा से मुझे विभिन्न क्षेत्रों; भौतिकी, खगोल विज्ञान, गणित और अन्य विषयों में अच्छा ज्ञान दिया है। मैं इन विषयों पर वीडियो व्याख्यान की एक श्रृंखला बनाने के लिए एक वेबसाइट स्थापित करना चाहता हूँ, ताकि स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्र उनसे मुफ्त में लाभान्वित हो सकें, जिससे उन्हें एक ओर शैक्षणिक पाठ्यक्रम में अपनी परीक्षा पास करने और दूसरी तरफ खगोल विज्ञान के माध्यम से ब्रह्मांड में अल्लाह के निर्माण के चमत्कारों के बारे में जानने में मदद मिल सके। मैं केवल अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने हेतु ऐसा करना चाहता हूँ। क्या यह काम उस उपयोगी ज्ञान के अंतर्गत आता है जो मेरे मरने के बाद मुझे फायदा पहुँचाएगा या नहींॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया कि : “पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान : “जब आदम का बेटा मर जाता है, तो उसके कार्य का सिलसिला समाप्त हो जाता है, सिवाय तीन के : जारी रहने वाला दान, या ऐसा ज्ञान जिससे लाभ उठाया जाए … ” क्या इस ज्ञान से अभिप्राय शरई (धार्मिक) ज्ञान है या सांसारिक ज्ञानॽ
तो उहोंने उत्तर दिया : प्रत्यक्ष बात यह है कि यह हदीस (अपने अर्थ में) सामान्य है और प्रत्येक ज्ञान जिससे लाभ उठाया जाए, उसपर यह प्रतिदान प्राप्त होगा। लेकिन इसके शीर्ष पर और सबसे पहले शरई (धार्मिक) ज्ञान है। यदि हम मान लें कि एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और उसने कुछ लोगों को कोई अनुमेय व्यवसाय (काम धंधा, शिल्प आदि) सिखाया है और यह व्यक्ति जिसने उसे सीखा है उससे लाभ उठाता है, तो उसे प्रतिदान मिलेगा और उसे इसके लिए पुरस्कृत किया जाएगा।”
“लिक़ाउल-बाबिल-मफ्तूह” (16/117) से उद्धरण समाप्त हुआ।
इसके अलावा, आपने जो इस वेबसाइट को स्थापित करने का संकल्प किया है : यह इन शा अल्लाह (अल्लाह की इच्छा से) एक अच्छा और उपयोगी काम है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन चीजों को सीखना उम्मत के लिए उपयोगी और लाभदायक है। बल्कि वह “फ़र्ज़-किफायह” (सामुदायिक दायित्वों) के अंतर्गत आता है, जिसके लिए उम्मत के बीच पर्याप्त लोगों का होना ज़रूरी है जो उन क्षेत्रों में उसकी जरूरतों को पूरा कर सकें।
जब उसके साथ, आपकी अपने भाइयों के लिए कठिन कामों को आसान बनाने और उनकी पढ़ाई में उनकी मदद करने की इच्छा भी जुड़ी हुई है, तो इससे अल्लाह के पास आपका प्रतिफल और अधिक हो जाएगा, यदि आपने इस तरह के कामों में अपने इरादे को अल्लाह के लिए विशुद्ध रखा है। जबकि अल्लाह का फरमान है :
فَمَنْ يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ خَيْرًا يَرَهُ وَمَنْ يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ شَرًّا يَرَهُ
الزلزلة : 7-8
“जिसने एक कण के बराबर नेकी की है वह उसे देख लेगा और जिसने एक कण के बराबर भी बुराई की है वह उसे देखे लेगा।” (सूरतुज़ ज़लज़ला : 7 - 8)
तथा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "जिसने किसी मोमिन से दुनिया की परेशानियों में से कोई परेशानी (संकट) दूर कर दी, तो (उसके बदले) अल्लाह तआला उससे क़ियामत के दिन की परेशानियों में से एक परेशानी (कठिनाई) को दूर कर देगा। और जिसने किसी तंगदस्त (कठिनाई पीड़ित) पर आसानी की, तो अल्लाह तआला दुनिया और आख़िरत में उस पर आसानी फरमाएगा। और जिसने किसी मुसलमान (के दोष) पर पर्दा डाला, तो अल्लाह तआला दुनिया व आखिरत दोनों में उस (के दोषों) पर पर्दा डालेगा। तथा अल्लाह तआला बंदे की मदद में रहता है जब तक कि बंदा अपने भाई की मदद में होता है। जिसने ज्ञान प्राप्त करने के लिए कोई रास्त चला, अल्लाह उसके लिए उसकी वजह से जन्नत का रास्ता आसान कर देगा।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2699) ने रिवायत किया है।
और अल्लाह तआला ही सबसे बेहतर जानता है।