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ऐसी कंपनी में काम करना जो धोखा देती है, और ऐसी कंपनी में काम करने का हुक्म जिसमें कुछ अनुमेय विभाग हैं और कुछ हराम हैं

29-07-2023

प्रश्न 31781

वह एक कंपनी में काम करता है, और यह कंपनी हराम चीज़ों को हलाल चीजों के साथ मिला देती है, चोरी की चीज़ें बेचती है, और धोखा देती है। क्या उसका वेतन हलाल हैॽ यदि वह इस नौकरी को छोड़ दे, तो वह जो भी दूसरा काम करेगा उसमें भी शरई निषेध होगा, तो उसे क्या करना चाहिएॽ क्या उसे अपना काम जारी रखना चाहिए, या उसे इसे छोड़ देना चाहिए और अपने बच्चों को भूखा रहने देना चाहिए जब उसे उनकी देखभाल करने का कोई साधन नहीं मिल रहा हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यदि आपके काम में किसी भी तरह से धोखाधड़ी या चोरी के किसी भी रूप में उनकी मदद करना शामिल है, तो यह जायज़ नहीं है। क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :

وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَى وَلا تَعَاوَنُوا عَلَى الأِثْمِ وَالْعُدْوَانِ 

المائدة: 2

“तथा नेकी और परहेज़गारी पर एक-दूसरे का सहयोग करो और पाप तथा अत्याचार पर एक-दूसरे की सहायता न करो।” (सूरतुल-मायदा : 2).

लेकिन अगर आपका काम हराम चीज़ों से दूर है, और कंपनी के पास कुछ अन्य विभाग भी हैं जो हराम चीज़ों से संबंधित नहीं हैं, तो आपके लिए अनुमेय लेन-देन के विभाग में काम करना जायज़ है, ऊपर वर्णित शर्त के साथ, जो यह है कि किसी भी हराम काम करने में कोई सहायता नहीं करनी चाहिए।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा :

“सूद पर आधारित संस्थानों में काम करना जायज़ नहीं है, भले ही वह व्यक्ति ड्राइवर या गार्ड ही क्यों न हो, क्योंकि सूद पर आधारित संस्थानों में नौकरी करने का आवश्यक अर्थ यह है कि आदमी उससे संतुष्ट (राज़ी) है। क्योंकि जो व्यक्ति किसी चीज़ को नापसंद करता है, वह उसके हित में काम नहीं कर सकता। इसलिए यदि वह उसके हित में काम करता है, तो इसका मतलब यह है कि वह उससे संतुष्ट है, और जो हराम वस्तु से संतुष्ट हो, उसे उसका पाप मिलेगा।

जहाँ तक उस व्यक्ति का संबंध है जो सीधे तौर पर रिकॉर्ड करने, लिखने, भेजने और जमा करने आदि में शामिल है ; तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह सीधे तौर पर हराम (निषिद्ध) चीज़ को करने वाला है, और जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में साबित है कि “नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सूद खाने वाले, उसे खिलाने वाले (देने वाले), उसके दो गवाहों और उसे लिखने वाले पर लानत की है।” और फरमाया : “वे सब एक जैसे हैं।”

“फतावा इस्लामिय्या” (2/401)।

आपको जो करना चाहिए वह उन निषिद्ध विभागों के प्रभारियों की भर्त्सना करना और उन्हें इन लेन-देन को छोड़ने की नसीहत करना है। यदि आप सक्षम हैं, तो आपको खरीदारों को भी नसीहत करनी चाहिए और उन्हें उन सामानों में मौजूद दोषों के बारे में बताना चाहिए जो वे खरीद रहे हैं।

जहाँ तक कोई और काम न पाए जाने की बात है, तो यह सही नहीं है, और यह शैतान का एक वसवसा है। अल्लाह तआला ने फरमाया है :

وَمَن يَتَّقِ ٱللَّهَ يَجۡعَل لَّهُۥ مَخۡرَجٗا وَيَرۡزُقۡهُ مِنۡ حَيۡثُ لَا يَحۡتَسِبُۚ 

سورة الطلاق: 2-3]

और जो अल्लाह से डरेगा, वह उसके लिए निकलने का कोई रास्ता बना देगा।  और उसे वहाँ से रोज़ी देगा जहाँ से वह गुमान नहीं करता। [सूरतुत-तलाक़ : 2-3]

अनुमेय कार्य बहुत हैं, इसलिए आपको अल्लाह पर विश्वास करना चाहिए और उसपर भरोसा करना चाहिए, और जो हराम है उससे बचना चाहिए।

जहाँ तक ​​बच्चों के भूख से मरने का सवाल है, तो हम आपसे पूछते हैं : क्या उनके लिए भूख से मरना बेहतर है - यह मानते हुए कि वे मर जाते हैं -? या यह कि आप उनकी वजह से (नरक की) आग में प्रवेश करें?!

फिर यह बात भी है कि सर्वशक्तिमान अल्लाह ही है जिसने उन्हें बनाया है, और वही है जिसने उनकी जीविका की गारंटी दी है, जैसा कि सर्वशक्तिमान अल्लाह ने फरमाया :

وفي السماء رزقكم وما توعدون 

سورة الذاريات: 22

“और आकाश ही में तुम्हारी रोज़ी है तथा वह भी जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है।” (सूरतुज़-ज़ारियात : 22)।

तथा सर्वशक्तिमान अल्लाह ने फरमाया :

ولا تقتلوا أولادكم خشية إملاق نحن نرزقهم وإياكم إن قتلهم كان خطأ كبيرا 

سورة الإسراء: 31

“तथा अपनी संतान को गरीबी के भय से क़त्ल न करो। हम ही उन्हें रोज़ी प्रदान करते हैं और तुम्हें भी। निःसंदेह उनका क़त्ल बहुत बड़ा पाप है।” (सूरतुल-इसरा : 31)।

अल्लाह ने प्रत्येक व्यक्ति की रोज़ी उसके अपनी माँ के पेट से निकलने से पहले ही लिख दी है। अतः अर्श वाले (अल्लाह) से इस बात से मत डरो कि वह तुम्हारी रोज़ी को कम कर देगा। बल्कि अपनी उस आत्मा से डरो जो बुराई का आदेश देने वाली है, कि कहीं वह तुम्हें फ़ितनों (प्रलोभनों) और अवज्ञाओ में न खींच ले जाए। तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के इस कथन को याद रखो : “कोई मांस नहीं है जो हराम स्रोतों से पोषित होता है, लेकिन आग उसके लिए अधिक अनुकूल है।” इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 614) ने रिवायत किया है और अलबानी ने 'सहीह अत-तिर्मिज़ी' में हसन कहा है।

यहाँ सही मार्गदर्शित खलीफ़ा उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहिमहुल्लाह की जीवनी से कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं :

मुसलमानों के बैतुल-माल (खजाने) के लिए उमर बिन अब्दुल-अज़ीज़ के पास सेब आए, तो उनके एक छोटे बेटे ने उनमें से एक सेब ले लिया। तो उन्होंने उसे ज़बरदस्ती उससे छीन लिया और बच्चा रोता हुआ अपनी माँ के पास गया। इसलिए उसने किसी को बाज़ार भेजा और उसके लिए सेब खरीदा। जब उमर बिन अब्दुल-अज़ीज़ घर वापस आए, तो उन्होंने सेब की महक महसूस की और कहा : “ऐ फातिमा! क्या तुमने इस धन से कुछ लिया हैॽ” उसने कहा : "नहीं।” और उन्हें बताया कि उसने अपने पैसे से अपने बेटे के लिए सेब खरीदे हैं।

इसपर उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ ने कहा : “अल्लाह की क़सम! मैंने उसे इससे छीन लिया, तो मानो यह ऐसा था जैसे मैंने इसे अपने दिल से छीन लिया हो। लेकिन मैंने मुसलमानों के धन से एक सेब के लिए अल्लाह के सामने खुद को बर्बाद करना पसंद नहीं किया।”

इब्ने जौज़ी की “मनाक़िब उमर बिन अब्दुल-अज़ीज़” (पृष्ठ : 190).

उमर बिन अब्दुल-अज़ीज़ इशा की नमाज़ के बाद अपनी बेटियों के पास उन्हें सलाम करने के लिए आए। जब उन्होंने आपकी आहट महसूस की, तो उन्होंने अपने मुँह पर हाथ रखा और उनके पास से हट गईँ। इसलिए उन्होंने आया से पूछा : “इनका क्या मामला हैॽ” उसने कहा : “उनके पास दाल और प्याज के अलावा रात के खाने के लिए कुछ भी नहीं था। इसलिए वे नहीं चाहतीं कि आप उनके मुँह से इसे सूँघें।” तो उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रो पड़े और अपनी बेटियों से कहा : “ऐ मेरी बेटियों! अगर तुम विभिन्न रंगों के भोजन करो और तुम्हारे पिता को नरक में धकेल दिया जाए, तो इससे तुम्हें क्या लाभ होगाॽ” तो वे रोने लगीं यहाँ तक कि उनकी आवाज़ें ऊँची होगईं।

“उमर बिन अब्दुल-अज़ीज़” लेखक : डॉ. अल-बुरुनु (142)।

उमर बिन अब्दुल-अज़ीज़ की मरते समय निंदा की गई कि उन्होंने अपने बच्चों को ग़रीब छोड़ दिया है। तो आपने उन्हें बुलवाया और वे एक दर्जन से अधिक पुरुष थे। आपने उन्हें देखा तो आपकी आँखों से आँसू छलक पड़े, फिर कहा : ऐ मेरे बेटो! आपके पिता को दो चीजों के बीच विकल्प दिया गया था : या तो तुम धनी हो जाओ और तुम्हारा पिता आग में प्रवेश करे, या तुम गरीब रहो और तुम्हारे पिता जन्नत में प्रवेश करें। तो तुम्हारा गरीब रहना और तुम्हारे पिता का जन्नत में प्रवेश करना मुझे इस बात से अधिक प्यारा था कि तुम धनी हो जाओ और तुम्हारे पिता नरक में प्रवेश करें। उठो, अल्लाह तुम्हारी रक्षा करे।”

और अल्लाह ही तौफ़ीक़ प्रदान करने वाला है।

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