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हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की स्तुति और प्रशंसा केवल अल्लाह के लिए योग्य है।शैख मुहम्मद बिन सालेह बिन उसैमीन -रहिमहुल्लाह- कहते हैं :
"निःसंदेह अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम "हबीबुल्लाह" (अल्लाह के हबीब) हैं। आप अल्लाह से महब्बत करने वाले तथा अल्लाह के महबूब (प्रिय एवं प्यारे) हैं। किंतु एक अन्य विशेषता और गुण भी है जो इस से सर्वोच्च है और वह अल्लाह का "खलील" (दोस्त) है, चुनांचे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के खलील हैं, जैसा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान हैः
"अल्लाह तआला ने मुझे खलील (दोस्त) बनाया है जिस प्रकार कि इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) को खलील बनाया था।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्याः 532) ने रिवायत किया है।
और "खुल्लत" (अर्थात् दोस्ती) का शब्द महब्बत (प्रेम) की परिपूर्णता को दर्शाता है।
इसीलिए जिस व्यक्ति ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का वर्णन केवल "महब्ब्त" के श्ब्द (विशेषण) से किया है, उसने आपको आपके पद से नीचे कर दिया है। क्योंकि "खुल्लत" का पद "महब्बत" से अधिक महान और सर्वोच्च है। चुनांचे सभी मोमिन (विश्वासी) अल्लाह के प्यारे हैं, किंतु पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इससे सर्वोच्च पद पर हैं और वह खुल्लत का पद है क्योंकि अल्लाह तआला ने आपको अपना खलील बनाया है जिस प्रकार कि अल्लाह ने इब्राहीम अलैहिस्सलाम को अपना खलील बनाया था। इसीलिए हम अल्लाह के पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को "खलीलुल्लाह" (अल्लाह का खलील) कहेंगे, और यह (यानी "खलीलुल्लाह" कहना) हमारे "हबीबुल्लाह" कहने से सर्वोच्च दर्जे का है ; क्योंकि यह शब्द महब्बत के अर्थ को शामिल होने के साथ साथ एक अतिरिक्त अर्थ पर भी आधारित है, इसलिए कि खुल्लत, महब्बत के पराकाष्ठ को कहते हैं।"
इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह के फत्वों का संग्रह (1/319)
शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या ने "मजमूउल फतावा" (10 / 204) में फरमायाः
"कुछ लोगों का यह कहना कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के हबीब हैं और इब्राहीम अलैहिस्सलाम खलीलुल्लाह (अल्लाह के खलील) हैं, और उसका यह गुमान करना कि महब्बत का पद खुल्लत से बढ़कर है, एक जईफ (कमज़ोर) कथन है। क्योंकि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम भी अल्लाह के खलील हैं, जैसाकि यह बात प्रचलित सहीह हदीसों में प्रमाणित है। (अंत)
इब्ने कै़यिम ने अपनी किताब "रौज़तुल मुहिब्बीन" (1/49) मे फरमायाः
कुछ ऐसे लोगों ने जिन के पास ज्ञान नहीं है यह गुमान किया है कि "हबीब" का विशेषण "खलील" से सर्वश्रेष्ठ है, और वे कहते हैं कि मुहम्मद "हबीबुल्लाह" हैं, और इब्राहीम "खलीलुल्लाह" हैं, हालांकि यह बात विभिन्न प्रकार से गलत हैः
1- "खुल्लत" का शब्द खास है और "महब्बत" का शब्द आम है। चुनांचे अल्लाह तआला तौबा करने वालों से और पाक व साफ रहने वालों से महब्बत करता है। तथा अल्लाह तआला ने अपने मोमिन बन्दों के बारे में फरमाया कि "वह उनसे महब्बत करता है और वे अल्लाह से महब्बत करते हैं।"
2- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस बात का खण्डन किया है कि इस धरती पर आपका कोई "खलील" है। इसी प्रकार आप ने यह भी बताया है कि औरतों में आपके निकट सब से महबूब तरीन आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) हैं और पुरुषों में सब से महबूब तरीन उनके पिता (अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु) हैं।
3- आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः "अल्लाह तआला ने मुझे खलील (दोस्त) बनाया है जिस प्रकार कि इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) को खलील बनाया था।"
4- तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः "यदि मैं धरती वालों में से किसी को खलील (दोस्त) बनाता, तो अबू बक्र को खलील बनाता़, परंतु इस्लामी भाईचारा और महब्बत है।" (इब्नुल क़ैयिम की बात का अंत हुआ)
एक लाभदायक बातः
एक हदीस वर्णित है जिसका प्रत्यक्ष अर्थ उपर्युक्त बात (कि खुल्लत का पद महब्बत के पद से सर्वोच्च है) का विरोध करता है, जिसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्याः 3161) ने इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहाः अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः "इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के खलील हैं, मूसा (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के मुक्तिप्राप्त हैं, ईसा (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के रूह और कलिमा हैं, और आदम (अलैहिस्सलाम) को अल्लाह तआला ने चयन कर लिया है, सुनो, मैं अल्लाह का हबीब हूँ और कोई गर्व नहीं ... हदीस के अंत तक।
परंतु यह हदीस ज़ईफ है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित नहीं है, अल्लामा अल्बानी ने ज़ईफ़ तिर्मिज़ी में इस हदीस को ज़ईफ कहा है।