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क्या रमज़ान के अंतिम दस दिनों में दान (सदक़ा व खैरात) करना बेहतर है, या कि उन दिनों की रातों को नमाज़ और अल्लाह के ज़िक्र (जप) में बिताना ही उन रातों में सविशेष है ॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
रमज़ान की अंतिम दस रातों को जागने के बारे में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से वर्णित उन्हें नमाज़ और अल्लाह के ज़िक्र में गुज़ारना है।
और रमज़ान में दान करना उसके अलावा में दान करने से बेहतर है, लेकिन हम कोई ऐसी हदीस नहीं जानते जिससे पता चलता हो कि अंतिम दस दिनों में दान करना बेहतर है।
लेकिन विद्वानों ने उल्लेख किया है कि नेक कार्य जितने ही प्रतिष्ठित समय में किया जाए उतना ही वह बेहतर होता है, और इसमें कोई शक नहीं कि रमज़ान के अंतिम दस दिनों की रातें उनके अलावा रातों से बेहतर हैं ; क्योंकि उनमें लैलतुल क़द्र है जो एक हज़ार महीनों से बेहतर है।
बहरहाल, मुसलमान के लिए धर्मसंगत यह है कि रमज़ान में अधिक से अधिक दान करे, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लोगों में सबसे अधिक उदार और दानशील थे और सबसे अधिक दानशील और उदार आप रमज़ान में होते थे। इस हदीस को बुखारी (हदीस संख्या : 6) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2308) ने रिवायत किया है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।