हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
उसे चाहिए की तौबा (पश्चाताप) करने में जल्दी करे, यद्यपि वह मृत्यु के क्षणों में ही क्यों न हो, क्योंकि कुछ भी हो जब तक उसकी बुद्धि बाक़ी है, तौबा का दरवाज़ा खुला हुआ है। उसे चाहिए कि तौबा करने में जल्दी करे और गुनाहों से बचे भले ही उन्हों ने कहा हो कि तुम्हारी आयु बहुत कम है क्योंकि आयु अल्लाह के हाथ में हैं, और उनका गुमान (अनुमान) ग़लत भी हो सकता है और वह लंबे समय तक जीवित रह सकता है। कोई भी स्थिति हो सच्चाई और ईमानदारी के साथ तौबा (पश्चाताप) करना अनिवार्य है ताकि अल्लाह तआला उसकी तौबा को स्वीकार करे, क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है:
] وَتُوبُوا إِلَى اللَّهِ جَمِيعًا أَيُّهَا الْمُؤْمِنُونَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ [ (سورة النور : 31)
"ऐ मोमिनो, तुम सब के सब अल्लाह की ओर तौबा (पश्चाताप) करो ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।" (सूरतुन्नूर: 31)
तथा अल्लाह तआला का फरमान है:
] وإني لغفار لِمَنْ تَابَ وَآمَنَ وَعَمِلَ صَالِحاً ثُمَّ اهْتَدَى [ [سورة طه : 82 ].
"और निःसंदेह मैं उस व्यक्ति को माफी प्रदान करने वाला हूँ जो तौबा कर ले, ईमान ले आये और नेक काम करे, फिर हिदायत को अपनाये।" (सूरत ताहा: 82)
तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "अल्लाह तआला बंदे की तौबा (पश्चाताप) उस समय तक स्वीकार करता है जब तक कि उसकी जान गले में न पहुँच जाये।"अर्थात उसकी चेतना समाप्त हो जाये। और अल्लाह ही मदद मांगे जाने के योग्य है।