हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
इमाम अहमद (हदीस संख्या: 6768) और इब्ने माजा (हदीस संख्या: 419) ने अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि ‘‘नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सअद के पास से गुज़रे जबकि वह वुज़ू कर रहे थे, तो आप ने फरमाया: “ऐ सअद! यह अपव्यय क्या है ?”तो उन्हों ने कहा: क्या वुज़ू में अपव्यय है ? आप ने फरमाया: “जी हाँ, यद्यपि तुम बहती नदी पर ही क्यों हो।”
शैख अहमद शाकिर ने कहा : इसकी इसनाद सही है, और शैख अल्बानी रहिमहुल्लाह ने “इर्वाउलगलील”में इसे ज़ईफ करार दिया था, फिर सिलसिलतुल अहादीस अस्सहीहा में इसे हसन करार दिया, तथा विद्वानों के एक समूह ने इस हदीस को ज़ईफ ठहराया है क्योंकि इसमें इब्ने लहीआ नामी रावी है, किंतु अल्बानी रहिमहुल्लाह ने उल्लेख किया है कि यह हदीस उनसे क़ुतैबा बिन सईद ने रिवायत किया है और इब्ने लहीआ से क़ुतैबा की रिवायत सहीह होती है।
देखिए : सिलसिलतुल अहादीस अस्सहीहा (3292).
तथा ‘‘अल-मौसूअतुल फिक़्हिय्या”(4/180) में आया है कि : विद्वानो की इस बात पर सर्वसहमति है कि पानी का इस्तेमाल करने में अपव्यय करना मक्रूह (नापसंदीदा) है।” अंत.
तथा शैख अब्दुल मोहसिन अल-अब्बाद हफिज़हुल्लाह ने फरमाया : ‘‘पानी में अपव्यय करने के निषेद्ध पर विद्वानों की सर्वसहमति है भले ही वह समुद्र के तट पर हो, क्योंकि अहमद और इब्ने माजा ने अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सअद के पास से गुज़रे, फिर उन्हों ने पिछली हदीस का वर्णन किया।” शर्ह सुनन अबू दाऊद से समाप्त हुआ।
तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया : ‘‘हमें यह बात जान लेनी चाहिए कि वुज़ू या स्नान में पानी के अंदर अपव्यय करना अल्लाह तआला के इस फरमान में दाखिल है :
ولا تسرفوا إنه لا يحب المسرفين
“तथा अपव्यय न करो वह (अल्लाह) अपव्यय करने वालों को पसंद नहीं करता है।”
इसीलिए फुक़हा़ रहिमहुल्लाह ने फरमाया है : अपव्यय करना मक्रूह है, चाहे आदमी बहती नदी पर ही क्यों न हो। तो फिर उस समय क्या हुक्म होगा जब वह ऐसी जगह हो जहाँ मशीनों के द्वारा पानी निकाला जाता है ?
सारांश यह कि : अपव्यय करना, चाहे वुज़ू में हो या वुज़ू के अलावा में, घृणित और निंदात्मक चीज़ों में से है।” शर्ह रियाज़ुस्सालिहीन से समाप्त हुआ।