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क्या वह शव्वाल के छः रोज़े रखना शुरू कर सकता है जबकि उसके ऊपर रमज़ान की क़ज़ा बाक़ी है

02-07-2017

प्रश्न 7863

क्या वह व्यक्ति जिसने रमज़ान के बाद शव्वाल के छः दिनों के रोज़े रखे किंतु उसने रमज़ान के रोज़े पूरे नहीं किए, क्योंकि उसने शरई उज़्र (कारण) के आधार पर रमज़ान के महीने के दस दिनों के रोज़े नहीं रखे थे, तो क्या ऐसे आदमी के लिए उस आदमी कि तरह सवाब मिलेगा जिसने रमज़ान के संपूर्ण रोज़े रखे और उसके बाद शव्वाल के छः रोज़े रखे, और वह उस आदमी की तरह हो गया जिसने पूर ज़माने का रोज़ा रखाॽ हमें सूचित करें, अल्लाह आप लोगों को अच्छा बदला प्रदान करे..

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

बन्दे अल्लाह तआला के लिए जो कार्य करते हैं उनके सवाब (प्रतिफ़ल) का अनुमान लगाना अल्लाह सर्वशक्तिमान के लिए विशिष्ट चीज़ों में से है। बन्दा यदि अल्लाह सर्वशक्तिमान से अज्र व सवाब चाहे और उसके आज्ञापालन में भरपूर प्रयास करे तो अल्लाह उसके प्रतिफल को नष्ट नहीं करेगा, जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान हैः

( إنا لا نضيع أجر من أحسن عملاً )

‘‘निश्चय ही हम किसी अच्छे कार्य करनेवाले व्यक्ति का प्रतिदान नष्ट नहीं करते।’’ (सूरतुल कह्फ़ः 30)

उचित यह है कि जिस व्यक्ति पर रमज़ान के कुछ दिनों के रोज़े बाक़ी हैं, सबसे पहले वह उन्हें रखे फिर शव्वाल के छः दिनों के रोज़े रखे। क्योंकि उसके लिए रमज़ान के बाद शव्वाल के छः रोज़े रखने की बात परिपूर्ण नहीं हो सकती सिवाय इसके कि उसने रमज़ान के पूरे रोज़े रख लिए हों।

और अल्लाह तआला ही तौफ़ीक़ प्रदान करनेवाला है, तथा हमारे पैगंबर मुहम्मद, आपके परिवार तथा आपके साथियों पर अल्लाह की दया व शांति अवतरित हो।

रोज़ों का क़ज़ा
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