हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है। सर्व प्रथम :
सुन्नत यह है कि सूरज डूबते ही इफ्तार करने में जल्दी किया जाए। इस संबंध में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कई हदीसें वर्णित हैं, उनमें से कुछ यह हैं :
बुखारी (हदीस संख्या : 1975) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1098) ने सहल बिन सअद से वर्णन किया है किः अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ''लोग निरंतर भलाई में रहेंगे जब तक वे रोज़ा इफ्तार करने में जल्दी करते रहेंगे।''
इमाम नववी कहते हैं :
''इस हदीस में सूरज डूबने की प्रामाणिकता के पश्चात रोज़ा इफ्तार में जल्दी करने पर बल दिया गया है, और उसका अर्थ यह है कि : उम्मत का मामला निरंतर संगठित और व्यवस्थित रहेगा और वे भलाई के साथ रहेंगे जब तक वे इस सुन्नत का पालन करते रहेंगे। और जब वे इसे विलंब कर देंगे तो यह उनके भ्रष्टाचार (खराबी) में पड़ने का संकेत होगा।''
हाफिज़ इब्ने हजर कहते हैं :
इब्नुल मुहल्लिब कहते हैं : इसकी हिकमत (तत्वदर्शिता) यह है कि दिन में रात का कोई भाग न बढ़ाया जाए। और इसलिए भी कि यह रोज़ेदार के लिए अधिक आसानी का कारण है, और उसके लिए इबादत पर अधिक शक्तिदायक है। तथा विद्वानों ने इस बात पर इत्तिफाक़ किया है कि उसका स्थान यह है कि जब दृष्टि या दो न्याय प्रिय लोगों की सूचना, या इसी तरह अधिक राजेह कथन के अनुसार एक न्याय प्रिय व्यक्ति की सूचना द्वारा सूरज का डूब जाना प्रमाणित हो जाए।'' अंत हुआ।
एक अन्य हिकमत (तत्वदर्शिता) :
''और वह अल्लाह सर्वशक्तिमान की हलाल की हुई चीज़ का भोग करने में पहल करना है, और अल्लाह सुब्हानहु व तआला उदार है, और उदार इस बात को पसंद करता है कि लोग उसकी उदारता से लाभान्वित हों, अतः अल्लाह अपने बन्दों से इस बात को पसंद करता है कि वे सूरज डूबते ही उस चीज़ की ओर पहल करें जिसे उस –अल्लाह- ने उनके लिए हलाल ठहराया है।'' अंत हुआ। अश-शरहुल मुम्ते (6/268).
''इस हदीस में शीया लोगों पर उनके रोज़ा इफ्तार को तारों के प्रकट होने तक विलंब करने पर खण्डन किया गया है।'' अंत हुआ। यह इब्ने दक़ीक़ अल-ईद का कथन है।
दूसरा :
सुन्नत यह है कि रोज़ादार रूतब (पकी हुई ताज़ा खजूर) पर इफ्तारी करे, अगर वह न मिले तो (सूखी) खजूर पर, यदि वह न मिले तो पानी पर, यदि वह भी न पाए तो जो भी खाना या पेय उपलब्ध हो उस पर इफ्तारी करे।
अगर रोज़ादार कोई चीज़ न पाए जिस पर इफ्तारी करे, तो वह नीयत के द्वारा इफ्तारी करेगा, अर्थात वह इफ्तार करने की नीयत करेगा, और इस तरह यह होगा कि उसने इफ्तार में जल्दी किया और इस विषय में सुन्नत पर अमल किया।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने अश-शर्हुल मुम्ते (6/269):
यदि वह पानी, या कोई दूसरा पेय या खाना न पाए, तो वह अपने दिल से इफ्तार की नीयत कर लेगा, और यह काफी होगा।'' अंत हुआ।
इस आधार पर, यदि यह डॉक्टर रूतब या खजूर पर इफ्तार करने पर सक्षम न हो तो वह पानी पर इफ्तार करेगा। अगर सर्जरी करने में व्यस्त होने की वजह से उसके लिए ऐसा करना संभव नहीं है तो उसके लिए इफ्तार की नीयत कर लेना काफी है और इस तरह वह इस संबंध में सुन्नत का पालन करने वाला समझा जायेगा।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।