शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
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गिरवी रखी गई धनराशि पर ज़कात

प्रश्न

मैंने एक राशि उधार ली और इस ऋण के बदले में पैसे के मालिक के पास कुछ सोना गिरवी रख दिया। क्या मुझे सोने पर ज़कात निकालनी होगीॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

अगर यह सोना निसाब तक पहुँच जाए, या आपके पास कोई और सोना है जो उसमें मिलाने पर निसाब तक पहुँच जाए, तो एक साल बीत जाने पर उसपर ज़कात देय है। तथा उसका क़र्ज के बदले में गिरवी रखा होना, उसमें ज़कात अनिवार्य होने को नहीं रोकता है। कयोंकि आप उसके पूरी तरह मालिक हैं।

इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने “अल-मजमू'” (5/318) में कहा : यदि उसने पशुधन या अन्य ज़कात के धन को गिरवी रखा है, और एक वर्ष बीत गया, तो उसमें ज़कात अनिवार्य है, क्योंकि उसपर उसका संपूर्ण स्वामित्व है।” संशोधन के साथ उद्धरण समाप्त हुआ।

शैख मंसूर अल-बहूती रहिमहुल्लाह ने कहा : “ज़कात उस धन पर भी अनिवार्य है, जो गिरवी रखा गया है। तथा गिरवी रखने वाला उससे अर्थात् गिरवी रखे गए धन से ज़कात का भुगतान कर सकता है, यदि गिरवी रखवाने वाला (ऋणदाता) उसे ऐसा करने की अनुमति देता है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

“कश्शाफुल-क़िना' अन् मतनिल-इक़्ना'” (2/175)।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया : क्या गिरवी रखी गई धनराशि पर ज़कात अनिवार्य हैॽ

तो आप रहिमहुल्लाह ने उत्तर दिया :

“गिरवी रखी गई धनराशि पर ज़कात अनिवार्य है, यदि वह ज़कात वाला धन है। लेकिन गिरवी रखने वाला उससे तभी ज़कात निकालेगा, जब गिरवी रखवाने वाला इसके लिए सहमत हो। उदाहरण के तौर पर : एक आदमी ने बकरियों का एक रेवड़ - और पशुधन ज़कात वाला धन है - किसी व्यक्ति के पास गिरवी रखा। तो उसपर ज़कात अनिवार्य है, क्योंकि गिरवी रखना ज़कात को समाप्त नहीं करता है। इसलिए वह उससे ज़कात निकालेगा, परंतु वह गिरवी रखने वाले की अनुमति से ही ऐसा करेगा।” उद्धरण समाप्त हुआ।

“मजमूओ फ़तावा इब्ने उसैमीन” (18/34)।

यदि ऋणदाता गिरवी रखी हुई धनराशि से ज़कात निकालने की इजाज़त नहीं देता है, तो उधारकर्ता या तो उसे दूसरे धन से निकालेगा - यदि उसके पास अन्य धन है - या वह गिरवी रखे गए धन के छुड़ाए जाने तक प्रतीक्षा करेगा और फिर पिछले सभी वर्षों के लिए ज़कात का भुगतान करेगा।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर