हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
मुसलमान के लिए काफिरों के त्योहारों में भाग लेना,और उस अवसर पर हर्ष व उल्लास का प्रदर्शन करना और काम-काज को निरस्त कर देना जाइज़ नहीं है,चाहे वे धार्मिक त्योहार हों या सांसारिक। क्योंकि यह अल्लाह तआला के दुश्मनों की समानता अपनाने के अंर्तगत आता है जो कि वर्जित और निषिध है,तथा यह झूठ में उनके साथ सहयोग करने में दाखिल है। और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "जिस व्यक्ति ने किसी क़ौम (जाति) की समानता (छवि) अपनायी वह उसी में से है।"
तथा अल्लाह सुब्हानहु व तआला का फरमान है :
وَتَعَاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَالتَّقْوَى وَلا تَعَاوَنُوا عَلَى الإِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَاتَّقُوا اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ [المائدة : 2]
"नेकी और तक़्वा (परहेज़गारी) के कामों में एक दूसरे का सहयोग किया करो तथा पाप और अत्याचार पर एक दूसरे का सहयोग न करो, और अल्लाह से डरते रहो, नि:संदेह अल्लाह तआला कड़ी यातना देने वाला है।" (सूरतुल माइदा : 2)
तथा हम आप को शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह की किताब (इक़्तिज़ाउस्सिरातिल मुस्तक़ीम) का अध्ययन करने की सलाह देते हैं,क्योंकि वह इस अध्याय में एक उपयोगी पुस्तक है।
और अल्लाह तआला ही तौफीक़ देने वाला है,तथा अल्लाह तआला हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और आपके परिवार तथा साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।