हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
अगर इमाम भूलकर पाँचवीं रकअत के लिए खड़ा हो जाए, तो उसके पीछे नमाज़ पढ़ने वालों को चाहिए कि उसे सचेत करें ताकि वह वापस बैठ जाए। लेकिन यदि वह यह सोचकर वापस न बैठे कि वह सही है, तो उसके पीछे नमाज़ पढ़ने वाले उस व्यक्ति के लिए, जो जानता है कि वह पाँचवी रकअत है, यह जायज़ नहीं है कि वह इमाम का पालन करे और उसके साथ खड़ा हो। क्योंकि ऐसा करने से वह जान-बूझकर नमाज़ में एक रकअत की वृद्धि करने वाला होगा और यह नमाज़ को अमान्य कर देता है।
बल्कि उसके पीछे नमाज़ पढ़ने वाला (मुक़तदी) बैठकर तशह्हुद पढ़ेगा, फिर सलाम फेर देगा या इमाम का इंतज़ार करेगा और उसके साथ सलाम फेरेगा।
शैख़ुल-इस्लाम इब्ने तैमिय्यह से एक ऐसे इमाम के बारे में पूछा गया, जो पाँचवीं रकअत के लिए खड़ा हो गया, तो लोगों ने सुब्हान-अल्लाह कहा, लेकिन उसने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसने सोचा कि उसने कोई गलती नहीं की है। तो क्या वे लोग उसके साथ खड़े होंगे या नहीं?
तो उनहोंने उत्तर दिया :
“यदि वे ज्ञान न होने की वजह से उसके साथ खड़े हो गए, तो उनकी नमाज़ अमान्य नहीं होगी। लेकिन ज्ञान होने के बावजूद उन्हें उसका अनुसरण नहीं करना चाहिए। बल्कि उन्हें उसका इंतज़ार करना चाहिए यहाँ तक वह उनके साथ सलाम फेर दे, या वे उससे पहले सलाम फेर दें। लेकिन इंतज़ार करना बेहतर है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
मजमूउल-फ़तावा” (23/53).
तथा “फ़तावा अल-लजना अद्-दाईमह लिल-इफ्ता” (7/128) में आया है :
“जहाँ तक इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने वाले उस व्यक्ति का संबंध है, जिसे इस बात का यक़ीन है कि इमाम ने - उदाहरण के लिए – एक रकअत की वृद्धि कर दी है, तो उसके लिए उसमें उसका अनुसरण करना जायज़ नहीं है। यदि वह वृद्धि के बारे में ज्ञान रखते हुए और यह जानते हुए कि उसका अनुसरण करना जायज़ नहीं है, उसका अनुसरण करता है, तो उसकी नमाज़ अमान्य हो जाएगी।
लेकिन अगर उसे पता नहीं है कि यह अतिरिक्त रकअत है, तो वह उसका अनुसरण करेगा, और इसी तरह जो व्यक्ति उसके हुक्म (नियम) को नहीं जानता है, उसपर भी यही लागू होगा।” उद्धरण समाप्त हुआ।
तथा उसमें (7/132) यह भी कहा गया है :
“मुक़तदियों में से जो व्यक्ति यह जानता है कि उसका इमाम एक अतिरिक्त रकअत के लिए खड़ा हुआ है, जैसे कि चार रकअत वाली नमाज़ में पाँचवी रकअत के लिए, तो वह उसके लिए तस्बीह (सुब्हानल्लाह) कहेगा। अगर वह (इमाम) वापस बैठ जाए, तो ठीक है, अन्यथा वह बैठकर इमाम की प्रतीक्षा करेगा यहाँ तक कि उसके साथ सलाम फेरेगा।” उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।