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क्या पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्मदिन पर वितरित किए जाने वाले भोजन को खाना जायज़ हैॽ कुछ लोग इस बात को तर्क के रूप में प्रस्तुत करते हैं कि जब अबू लहब ने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्मदिन पर अपनी लौंडी को मुक्त कर दिया, तो अल्लाह ने उस दिन उसकी यातना को कम कर दिया।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सर्व प्रथमः
इस्लामी शारीअत में "ईद मीलादुन्नबी" (पैगंबर के जन्मदिन का उत्सव) नाम की कोई चीज़ नहीं है। तथा सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम, ताबेईन, चारों इमाम और इनके अलावा दूसरे लोग अपने धर्म में इस तरह के दिन को नहीं जानते थे। बल्कि इस ईद (जश्न) को अज्ञानी बातिनियों में से कुछ बिदअतियों ने निकाला था, फिर लोग इस नवाचार का पालन करने लगे जिसकी वरिष्ठ विद्वानगण हर समय और जगह पर निरंतर निंदा करते रहे हैं।
हमारी साइट पर प्रश्न संख्याः (70317), (10070) और (13810) के उत्तर में इस नवाचार के घृणित होने का वर्णन विस्तार से किया गया है।
दूसरा :
इस आधार पर, लोग जो भी कार्य विशिष्ट रूप से इस दिन में करते हैं उसे स्वरचित हराम (निषिद्ध) कार्यों में से समझा जाएगा। क्योंकि वे लोग उत्सवों के आयोजन और भोजन कराने आदि द्वारा हमारी शरीअत (धर्म) में एक स्वरचित त्योहार को जीवित करना चाहते हैं।
शैख अल-फौज़ान “अल-बयान लि-अख्ताए बाज़िल-कुत्ताब” (268-270) में कहते हैं :
क़ुरआन और सुन्नत में अल्लाह और उसके पैगंबर द्वारा निर्धारित शिक्षाओं का पालन करने का जो आदेश तथा धर्म में नवाचार शुरू करने से जो निषेध वर्णित है, वह रहस्य नहीं है। अल्लाह सर्वशक्तिमान का कथन है :
قُلْ إِنْ كُنتُمْ تُحِبُّونَ اللَّهَ فَاتَّبِعُونِي يُحْبِبْكُمُ اللَّهُ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوبَكُمْ
[سورة آل عمران: 31].
"कह दीजिए अगर तुम (वास्तव में) अल्लाह तआला से महब्बत रखते हो, तो मेरा अनुसरण करो, (स्वयं) अल्लाह तआला तुम से महब्बत करेगा और तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा।" (सुरत-आल इम्रान: 31)
तथा अल्लाह तआला ने फरमायाः
اتَّبِعُواْ مَا أنزل إِلَيْكُم مِّن رَّبِّكُمْ وَلاَ تَتَّبِعُواْ مِن دُونِهِ أَوْلِيَاء قَلِيلًا مَّا تَذَكَّرُونَ
[سورة الأعراف: 3]
“(हे लोगो!) जो कुछ तुम्हारे पालनहार की ओर से तुम्हारी तरफ़ अवतरित किया गया है, उसका पालन करो और और उसे छोड़कर दूसरे सहायकों के पीछे न चलो। तुम लोग बहुत ही कम शिक्षा (सीख) लेते हो।” (सूरतुल आराफ़ः 3)
तथा अल्लाह ने फरमायाः
“और यही धर्म मेरा मार्ग है जो सीधा है, अतः इसी मार्ग पर चलो, और दूसरी पगडण्डियों पर न चलो कि वे तुम्हें अल्लाह के मार्ग से अलग कर देंगी, इसी का अल्लाह तआला ने तुम्हें आदेश दिया है, ताकि तुम परहेज़गार (संयमी) बनो।” (सूरतुल अन्आमः 153)
तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“निःसंदेह सबसे सच्ची बात अल्लाह की किताब (क़ुरआन) है और सबसे बेहतरीन तरीक़ा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का तरीक़ा है, और सबसे बुरी बात धर्म में नयी ईजाद कर ली गई चीज़ें हैं।”
तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
"जिसने हमारे इस मामले (अर्थात शरीअत) में कोई ऐसी चीज़ ईजाद की जो इसका हिस्सा नहीं है, तो उसे अस्वीकार कर दिया जाएगा।” (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम)
और मुस्लिम की एक रिवायत में है कि :
"जिसने कोई ऐसा काम किया जो हमारी शरीअत के अनुसार नहीं है, तो उसे अस्वीकार कर दिया जाएगा।”
लोगों द्वारा अविष्कार कर लिए गए घृणित नवाचारों में से रबी उल-अव्वल के महीने में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जयंती (जश्ने-मीलाद) मनाना है। इस अवसर का जश्न मनाने में लोगों के कई प्रकार हैं :
उनमें से कुछ लोग इसमें सिर्फ एक बैठक करते हैं जिसमें (पैगबंर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के) जन्म की कहानी पढ़ी जाती है, या उसमें इस अवसर पर व्याख्यान और क़सीदे (कविताएं) प्रस्तुत किए जाते हैं।
उनमें से कुछ लोग भोजन और मिठाई आदि बनाते हैं और उन लोगों को प्रदान करते हैं जो उपस्थित होते हैं।
उनमें से कुछ लोग उसका आयोजन मस्जिदों में करते हैं और कुछ उसे घरों में आयोजित करते हैं।
उनमें से कुछ लोग ऊपर उल्लिखित चीज़ों पर सीमित नहीं रहते हैं। बल्कि इस सभा में हराम (निषिद्ध) और बुरी चीजों को शामिल कर देते हैं, जैसे पुरुषों का महिलाओं के साथ मिश्रण, नृत्य और संगीत, या शिर्क (अनेकेश्वरवाद) के कार्य जैसे पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से मदद मांगना, आपको पुकारना, तथा आपके द्वारा दुश्मनों के खिलाफ समर्थन (विजय) मांगना, इत्यादि।
ईद मीलादुन्नबी उसके सभी प्रकार, उसके विभिन्न रूपों और उसके करनेवालों के विभिन्न उद्देशों के साथ, बिना किसी शंका और संदेह के एक निषिद्ध बिदअत है जिसे सर्वश्रेष्ठ पीढ़ियों के समयकाल के लंबे समय के बाद अविष्कार किया गया है।
सबसे पहले इस बिदअत को, छठी शताब्दी हिज्री के अंत में, या सातवीं शताब्दी हिज्री के शुरुआत में, इर्बिल के राजा अबू सईद कौकूबरी ने अविष्कार किया, जैसाकि इब्ने कसीर और इब्ने खल्लिकान वग़ैरह जैसे इतिहासकारों ने उल्लेख किया है।
अबू शामह कहते हैं :
मौसिल में ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति शैख उमर बिन मुहम्मद अल-मुल्ला एक प्रसिद्ध सदाचारी हैं। तथा इर्बिल के शासक वगैरह ने इसमें उसी का अनुकरण किया था।
हाफिज़ इब्ने कसीर ''अल-बिदाया'' (13-137) में अबू सईद अल-कौकबूरी की जीवनी में कहते हैं :
वह रबीउल-अव्वल में मीलाद शरीफ़ का आयोजन करता था और उसका भव्य उत्सव मनाता था . . . यहाँ तक कि आगे उन्होंने कहा :
अल-सब्त ने कहा : मीलाद के कुछ अवसरों पर राजा अल-मुज़फ़्फ़र के भोज (दावत) में भाग लेने वाले कुछ लोगों का कहना है कि इस दावत में पांच हजार भुने हुए बकरे, दस हजार मुर्गियां, एक लाख प्यालियाँ और तीस हजार मिठाई की प्लेटें परोसी जाती थीं . . . यहाँ तक कि उसने कहाः और वह सूफिया के लिए ज़ुहर से फ़ज्र तक समाअ (क़व्वाली) का आयोजन करता था, और वह स्वयं उनके साथ नाचता था।'' उद्धरण समाप्त हुआ।
इब्ने खल्लिकान ने ''वफ-यातुल-आयान'' (3/274) में कहा :
''जब सफ़र के महीने का पहला दिन होता, तो वे उन गुंबदों को विभिन्न प्रकार के अच्छे श्रृंगार की चीज़ों से सजाते थे, और प्रत्येक गुंबद में गायकों का एक समूह, अऱबाबे ख़याल (सूफ़िया) का तथा खेलकूद करनेवालों का एक समूह बैठता था, और उन्होंने किसी गुंबद को नहीं छोड़ा यहाँ तक कि उसमें एक समूह स्थापित कर दिया।'' उद्धरण का अंत हुआ।
अतः बिदअती लोग सबसे बड़ी चीज़ जिसके साथ इस दिन को जीवित करते हैं वह नाना प्रकार के भोजन बनाना, उसे वितरित करना और लोगों को खाने के लिए आमंत्रित करना है। यदि कोई मुसलमाम इस कार्रवाई में भाग लेता है, और उनका भोजन खाता है और उनके खाने की मेज़ पर बैठता है, तो निःसंदेह वह ऐसा करके इस बिदअत को जीवित करने में भाग ले रहा है और उसे स्थापित करने में सहयोग कर रहा है। जबकि अल्लाह तआला फरमाता है :
وَتَعَاوَنُواْ عَلَى الْبرِّ وَالتَّقْوَى وَلاَ تَعَاوَنُواْ عَلَى الإِثْمِ وَالْعُدْوَانِ
[المائدة: 2].
"नेकी और तक़्वा (परहेज़गारी) के कामों में एक दूसरे का सहयोग किया करो तथा पाप और अत्याचार पर एक दूसरे का सहयोग न करो।" (सूरतुल मायदा: 2)
इसीलिए विद्वानों के फतावा में उस भोजन को खाना हराम घोषित किया गया है जो इस दिन और अन्य स्वरचित त्योहारों पर वितरित किया जाता है।
शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह से निम्नलिखित प्रश्न (मज्मूउल फतावा, 9/74) पूछा गया :
“मीलाद के अवसर पर ज़बह किए गए जानवरों का क्या हुक्म हैॽ
तो आप रहिमहुल्लाह ने उत्तर दिया :
यदि उसने उन्हें उस व्यक्तित्व के लिए ज़बह किया है जिसका जन्मदिन मनाया जा रहा है तो यह शिर्क अक्बर (बड़ा शिर्क) है। लेकिन यदि उसने उन्हें सिर्फ खाने के लिए ज़बह किया है तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है। लेकिन उचित यह है कि उसे न खाया जाए, तथा मुसलमान अपने कथन व कर्म के द्वारा उन लोगों की निंदा करते हुए उसमें भाग न ले। सिवाय इसके कि वह उन्हें केवल नसीहत करने के लिए भाग ले, उनके साथ खाने या किसी और चीज़ में शामिल न हो।” समाप्त हुआ।
हमारी साइट पर भी इस बारे में कुछ फत्वे उल्लेख किए गए हैं। कृपया प्रश्न संख्या (9485) और (7051) के उत्तर देखें।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।