हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
क़ुर्बानी के जानवर में यह शर्त (आवश्यक) है कि उसे क़ुर्बानी के इरादे से ज़बह किया जाए और जो जनवर माँस के लिए ज़बह किया गया है, वह पर्याप्त नहीं है।
इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने “अल-मजमू” (8/380) में कहा : नीयत का होना क़ुर्बानी के शुद्ध होने के लिए एक शर्त है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
प्रश्न में वर्णित तरीक़े से क़ुर्बानी के जानवर को खरीदने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, बशर्ते कि कार्यकर्ता उसे क़ुर्बानी करने के इरादे से ज़बह करे। यह उस स्थिति में हैं जब कार्यकर्ता मुस्लिम है, अन्यथा आप लोगों में से कोई व्यक्ति उसे ज़बह करे, फिर कार्यकर्ता उसे काटने का कार्य करे।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने “अश-शरहुल-मुम्ते” (7/494) में फरमाया :
“क़ुर्बानी के जानवर को ज़बह करने में ‘किताबी’ (यानी किसी यहूदी या ईसाई) को वकील (प्रतिनिधि) बनाना सही नहीं है, भले ही किताबी द्वारा ज़बह किया गया जानवर हलाल है। लेकिन चूँकि क़ुर्बानी के जानवर को ज़बह करना एक इबादत है, इसलिए उसमें किताबी को वकील बनाना सही नहीं है। क्योंकि किताबी इबादत और अल्लाह की निकटता के कामों के लिए योग्य लोगों में शामिल नहीं है। इसका कारण यह है कि वह एक काफ़िर है जिसकी इबादत स्वीकार्य नहीं है। जब उसके द्वारा किया जाने वाला पूजा का कार्य स्वयं उसी के लिए मान्य नहीं है, तो उसके द्वारा किया जाने वाला पूजा का कार्य दूसरे की ओर से मान्य नहीं हो सकता। लेकिन अगर वह किसी किताबी को माँस खाने के लिए जानवर ज़बह करने के लिए नियुक्त करता है, तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।