हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
ईदुल फ़ित्र केवल एक ही दिन है और वह शव्वाल का पहला दिन है।
रही बात जो लोगों के बीच यह प्रसिद्ध है कि ईदुल फ़ित्र तीन दिन है, तो यह मात्र एक परंपरागत प्रसिद्धि है जो लोगों को बीच प्रचलित हो गई है जिस पर कोई शरई हुक्म निष्कर्षित नहीं होता है।
इमाम बुख़ारी रहिमहुल्लाह फरमाते हैं,
यौमुल फ़ित्र (ईदुल फ़ित्र के दिन) के रोज़े का अध्याय
फिर उन्हों ने अबू सईद रज़ियल्लाहु अन्हु से (हदीस संख्याः 1992) रिवायत किया है कि उन्हों ने फरमायाः
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ईदुल फ़ित्र और क़ुर्बानी के दिन रोज़ा रखने से मना फरमाया है।
इस आधार पर फ़ित्र का दिन केवल एक ही दिन है और यह वह दिन है जिसका रोज़ा रखना हराम (निषिद्ध) है। रही बात शव्वाल के दूसरे या तीसरे दिन की तो उन दोनों दिनों का रोज़ा रखना हराम नहीं है, उन दोनों दिनों में रमज़ान की क़ज़ा या स्वैच्छिक (नफ़्ल) रोज़ा रखना जायज़ है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।