हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
इंसान के लिए दूसरे के खर्च पर हज्ज करना जाइज़ है, चाहे वह फर्ज़हज्ज हो या नफ्ली हज्ज, तथा उस के लिए हज्ज के दौरान काम करना, तिजारत करना और कमाना भी जाइज़ है। इमाम तबरी ने अपनी तफसीर में अपनी सनद के साथ इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से अल्लाह तआला के फरमान : "तुम्हारे ऊपर कोई गुनाह की बात नहीं है कि तुम अपने रब की अनुकम्पा को तलाश करो।" (सूरतुल बक़रा : 198)
में रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : "एहराम से पहले और उसके बाद खरीदने और बेचने (क्रय-विक्रय करने) में तुम्हारे ऊपर कोई हानि नहीं है।"
तथा फतावा की स्थायी समिति से प्रश्न किया गया कि उस आदमी का क्या हुक्म है जो हाकिम (शासक) के खर्च पर हज्ज करता है ?
अर्थात् : यह कि जब कोई हाकिम अपनी जन्ता को कुछ धन देना चाहे और उन से कहे कि : इस धन के द्वारा हज्ज करो, तो क्या उन के लिए जाइज़ है कि वे उस के द्वारा हज्ज करें या नहीं ? और यदि उन्हों ने उस धन के द्वारा हज्ज कर लिया तो क्या उन के इस्लाम का हज्ज (फरीज़ा) समाप्त हो जायेगा ? आप जो कुछ भी उत्तर दें उस का सबूत भी उल्लेख करें।
तो उन्हों ने इस का उत्तर दिया कि : "उन के लिए हज्ज करना जाइज़ है, और उन का हज्ज सहीह है ; क्योंकि इस बारे में प्रमाण सामान्य है।"
"फतावा अल्लज्ना अद्दाईमा" (11/36)
तथा प्रश्न संख्या (36841) का उत्तर भी देखिये।
हम अल्लाह तआला से प्रार्थना करते हैं कि वह हमारे और आप के नेक कामों को स्वीकार करे।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।