रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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ब्लैक फ्राइडे को कीमतों को कम करने का दिन बनाने का हुक्म

प्रश्न

जुमा के दिन को जो ब्लैक फ्राइडे का नाम दिया जाता है उसका क्या हुक्म हैॽ क्या यह नाम देना जायज़ हैॽ क्या इसे काफिरों की नक़ल करना माना जाएगाॽ क्या इसे केवल इसलिए निषिद्ध (ह़राम) माना जाएगा, क्योंकि यह अधिकांश लोगों के लिए फिजूलखर्ची करने और पैसा बर्बाद करने का दरवाज़ा खोलता है, अर्थात् क्या यह बुराईयों को रोकने के आधार पर निषिद्ध हैॽ क्या इस दिन खरीदना-बेचना ह़राम हैॽ

उत्तर का सारांश

ब्लैक फ्राइडे नामक दिन सामान खरीदने और उस दिन दिए जाने वाले ऑफ़र और छूट का लाभ उठाने में कोई हर्ज नहीं है, भले ही यह थैंक्सगिविंग (धन्यवाद दिवस) से जुड़ा हो, या उसके अधीन हो, या उस दौरान क्रिसमस उपहार खरीदने के लिए छूट दी जाती है, जब तक कि खरीदार वह चीज़ खरीदता है जो अनुमेय है, और वह क्रिसमस मनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली कोई भी चीज़ नहीं खरीदता, जैसे उपहार या अन्य चीजें। यदि काफिर लोग हर साल इस दिन का इंतिज़ार करते हैं और इसे छूट और प्रचार के साथ विशिष्ट करते हैं और इसे एक विशेष नाम देते हैं, तो हमारे लिए उचित नहीं है कि हम अपनी खरीद और बिक्री में उनकी नकल करें और हम इस दिन को अपनी दुकानों में वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए विशिष्ट कर दें। लेकिन जो भी खरीदार इस तरह की छूट पाए, तो वह अपनी आवश्यकता अनुसार चीज़ें खरीद सकता है, जैसा कि पहले बताया गया है।

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

प्रथम : इसे ब्लैक फ्राइडे कहने का कारण।

ब्लैक फ्राइडे नवंबर का आखिरी शुक्रवार है। इसके बारे में हमें जो जानकारी मिली वह कुछ इस तरह है :

“ब्लैक फ्राइडे (Black Friday) : जिसे अरब जगत में कभी-कभी व्हाइट फ्राइडे भी कहा जाता है, वह दिन है जो संयुक्त राज्य अमेरिका में थैंक्सगिविंग (धन्यवाद दिवस) के तुरंत बाद आता है, और यह आमतौर पर हर साल नवंबर के अंत में होता है। इस दिन को क्रिसमस उपहार खरीदने के मौसम की शुरुआत माना जाता है।

इसी दिन अधिकांश स्टोर ऑफ़र और छूट की पेशकश करते हैं, तथा वे भारी छूट के कारण अपनी दुकानों के दरवाजे सुबह सवेरे ही चार बजे तक खोल देते हैं। चूँकि अधिकांश क्रिसमस उपहार उसी दिन खरीदे जाते हैं, इसलिए बड़ी संख्या में उपभोक्ता शुक्रवार की सुबह बड़ी दुकानों के बाहर इकट्ठा हो जाते हैं और उनके खुलने का इंतिज़ार करते हैं। दुकान खुलते ही लोगों की भीड़ कूदना और दौड़ना शुरू कर देती है, प्रत्येक व्यक्ति छूट वाले सामान का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त करना चाहता है...

ब्लैक फ्राइडे का नाम उन्नीसवीं सदी से मिलता है, क्योंकि यह संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पन्न होने वाले 1869 के वित्तीय संकट से जुड़ा है, जिसने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को इस हद तक भारी झटका दिया था कि सभी माल स्थिर हो गया था और खरीद-फरोख्त की गतिविधियाँ बंद हो गई थीं, जिससे अमेरिका में आर्थिक तबाही मच गई। उसने कई उपायों के माध्यम से इससे उबर लिया, जिसमें स्थिरता के बजाय बेचने के लिए वस्तुओं और उत्पादों पर बड़ी छूट देना और जितना संभव हो सके घाटे को कम करना शामिल है।

उस दिन के बाद से, अमेरिका में प्रमुख स्टोरों, दुकानों और एजेंसियों के लिए अपने सामान पर बड़ी छूट की पेशकश करना एक परंपरा बन गई और यह छूट उत्पादों के मूल्य का 90% तक हो सकती है, ताकि ब्लैक फ्राइडे या इस दिन का विशेष महीना बीत जाने के बाद वे फिर अपनी सामान्य कीमत पर वापस जाएँ।

जहाँ तक ​​इस दिन को ब्लैक अर्थात 'काला' बताने की बात है, तो यह घृणा या निराशावाद की उपज नहीं है। बल्कि इसे पहली बार यह नाम 1960 में फिलाडेल्फिया सिटी की पुलिस द्वारा दिया गया था। उन्होंने इस दिन दुकानों के सामने बड़े पैमाने पर ट्रैफिक जाम, भीड़ और लंबी लाइनों के कारण इसे यह नाम दिया था और यह भीड़ इस लिए थी क्योंकि यह दिन खरीदारी के लिए जाना जाता था। इसलिए फिलाडेल्फिया पुलिस विभाग ने पैदल यात्रियों और कारों दोनों की भीड़भाड़, अराजकता और यातायात का वर्णन करने के लिए इस दिन को ब्लैक फ्राइडे का नाम दिया।

इसके अलावा, यह भी अफवाह है कि काला शब्द व्यापार और लेखांकन क्षेत्र में एक विशिष्ट अर्थ के साथ व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह लाभ और गोदामों में स्टॉक से छुटकारा पाने का सूचक है जबकि लाल रंग हानि और घाटा या माल के संचय और काम में ठहराव को व्यक्त करता है।

[इसे ब्लैक फ्राइडे कहने का] सबसे संभावित कारण यह है कि अमेरिकी दैनिक लाभ और हानि बहीखाते में लाभ दर्ज करने के लिए काली स्याही का उपयोग किया जाता था और हानि दर्ज करने के लिए लाल स्याही का उपयोग किया जाता थ। उस दिन भारी मुनाफ़ा कमाने के परिणामस्वरूप बही-खाते काली स्याही से भर जाते थे, इसलिए उस शुक्रवार को ब्लैक फ्राइडे का नाम दिया गया।” उद्धरण समाप्त हुआ।

दूसरा : तथाकथित ब्लैक फ्राइडे पर कम कीमतों का लाभ उठाने का हुक्म।

इस दिन सामान खरीदने और इस दिन दिए जाने वाले ऑफ़र और छूट का लाभ उठाने में कोई हर्ज नहीं है, भले ही यह थैंक्सगिविंग से जुड़ा हो, या उसके अधीन हो, या उस दौरान क्रिसमस उपहार खरीदने के लिए छूट दी जाती है, जब तक कि खरीदार वह चीज़ खरीदता है जो अनुमेय है, और वह क्रिसमस मनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली कोई भी चीज़ नहीं खरीदता, जैसे उपहार या अन्य चीजें।

तथा प्रश्न संख्या (145676 ) के उत्तर में क्रिसमस के मौसम में कीमतों में कमी का लाभ उठाने के लिए सामान खरीदने के जायज़ (अनुमेय) होने की बात आ चुकी है।

तीसरा : दुकान मालिकों का इस दिन को क़ीमतों में छूट के साथ ख़ास करना।

हमारे लिए ब्लैक फ्राइडे या व्हाइट फ्राइडे जैसी कोई चीज़ नहीं है। मुसलमानों को काफिरों का अनुसरण करने और उनके जैसा बनने से बचना चाहिए, फिजूलखर्ची और पैसा बर्बाद करने से सावधान रहना चाहिए। तथा ऑफ़र और छूट उसे उस चीज़ पर पैसा बर्बाद करने के लिए प्रेरित न करें, जिसकी उसे ज़रूरत नहीं है।

दुकानों के मालिकों के लिए इस दिन (ब्लैक फ्राइडे) को कीमतें कम करने के लिए विशिष्ट करना उचित नहीं है। क्योंकि इसमें काफिरों का अनुसरण करना और उनकी नकल करना शामिल है। बल्कि इस दिन को अन्य दिनों की तरह समझना चाहिए। जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “जिसने किसी क़ौम (जाति) का स्वरूप अपनाया, वह उन्हीं में से है।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4031) ने रिवायत किया है और शैख़ अलबानी ने "सहीह सुनन अबी दाऊद" में इसे सहीह कहा है।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने प्रथागत मामलों (रीति-रिवाजों) में भी काफिरों की समानता अपनाने से मना किया है, जैसा कि सहीह मुस्लिम (हदीस संख्या : 2077) में अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुझे कुसुम से रंगे हुए दो वस्त्र पहने हुए देखा तो फरमाया : “ये काफ़िरों के कपड़े हैं, इसलिए इन्हें मत पहनो।”

हुज़ैफ़ा बिन यमान रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से यह फरमाते हुए सुना : “रेशम और दीबा (ज़री) के कपड़े मत पहनो और न सोने और चांदी के बर्तनों में कुछ पियो और न उनकी प्लेटों में कुछ खाओ, क्योंकि ये उन (काफिरों) के लिए दुनिया में हैं और हमारे लिए आख़िरत में हैं।” इसे बुख़ारी (हदीस संख्या : 5426) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2967) ने रिवायत किया है।

इमाम अहमद (हदीस संख्या : 22283) ने उमामा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णन किया है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अंसार के कुछ बुजुर्ग सदस्यों के पास आए जिनकी दाढ़ियाँ सफेद हो चुकी थीं और फरमाया : “ऐ अंसार के लोगो! अपनी दाढ़ियाँ लाल या पीली कर लो और अह्ले किताब का विरोध करो।” कहते हैं कि हमने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! अह्ले किताब शलवार पहनते हैं और तहबंद नहीं बाँधते। तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “तुम शलवार पहनो और तहबंद (भी) बांधो, और अह्ले किताब का विरोध करो।” कहते हैं कि हमने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! अह्ले किताब मोज़े पहनते हैं, जूते नहीं पहनतेॽ वह कहते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “तुम मोज़े पहनो और जूते भी पहनो और अह्ले किताब का विरोध किया करो।” कहते हैं कि हमने कहा : "ऐ अल्लाह के रसूल! अह्ले किताब अपनी दाढ़ियाँ मुँडाते हैं और मूँछें बढ़ाते हैं?  कहते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “तुम अपनी मूँछें काटो और अपनी दाढ़ियाँ बढ़ाओ और अह्ले किताब का विरोध करो।”

इमाम तिरमिज़ी ने वर्णन किया है कि अम्र बिन शुऐब अपने बाप से रिवायत करते हैं और वह अपने दादा (अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : “वह व्यक्ति हममें से नहीं है जो हमारे अन्य जातियों की नकल करे, न तो यहूदियों की नकल करो और न ही ईसाइयों की। यहूदियों का अभिवादन (सलाम) उंगलियों का इशारा है और ईसाइयों का अभिवादन (सलाम) हथेलियों का इशारा है।” (सुनन तिरमिज़ी : 2695, शैख़ अलबानी ने इसे हसन कहा है।)

यदि काफिर लोग हर साल इस दिन (ब्लैक फ्राइडे) का इंतिज़ार करते हैं और इसे छूट और प्रचार के साथ विशिष्ट करते हैं और इसे एक विशेष नाम से बुलाते हैं, तो हमारे लिए उचित नहीं है कि हम अपनी खरीद और बिक्री में उनकी नकल करें और हम इस दिन को अपनी दुकानों में वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए विशिष्ट कर दें। लेकिन जो भी खरीदार इस तरह की छूट पाए तो वह अपनी आवश्यकता अनुसार चीज़ें खरीद सकता है, जैसा कि पहले बताया गया है।

और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर