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वेबसाइट पर फतवों में अंतर और उसके प्रति साधारण जन का रवैया

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प्रकाशन की तिथि : 30-07-2021

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प्रश्न

जब मैं आपकी साइट पर उत्तर और फतवे पढ़ रहा था, तो मैंने देखा कि कुछ चीज़ें ऐसी हैं, जिनसे विरोधाभास प्रतीत होता है। उदाहरण के लिए प्रश्न संख्या (57) में कहा गया है : जो मासिक धर्म (माहवारी) पंद्रह दिनों से अधिक हो जाता है, वह ‘इस्तिह़ाज़ा’ बन जाता है। फिर प्रश्न संख्या (65570) में किसी ने उस मासिक धर्म के बारे में पूछा जो पंद्रह दिनों से अधिक हो जाता है, तो आपने उल्लेख किया कि उसके लिए कोई अधिकतम या न्यूनतम सीमा नहीं है। इसलिए वह इस्तिह़ाज़ा नहीं है। इसी तरह आपने प्रश्न संख्या : (247317) में भी यही उल्लेख किया है।

अन्य उदाहरण : किसी ने मासिक धर्म के दौरान अंतराल के बारे में पूछा, और आपने इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा के हवाले से उल्लेख किया कि उसे ग़ुस्ल करना और नमाज़ पढ़ना चाहिए। फिर एक दूसरे व्यक्ति ने भी यही सवाल पूछा और आपने शैख उसैमीन रहिमहुल्लाह की राय का हवाला देते हुए कहा कि : उसे ऐसा नहीं करना चाहिए। एक व्यक्ति ने अपने जीवन भर नमाज़ न पढ़ने के बारे में पूछा, तो आपने उल्लेख किया कि उसे पश्चाताप (तौबा) करना चाहिए और नमाज़ पढ़ना शुरू कर देना चाहिए। एक अन्य प्रश्न में, किसी ने एक नमाज़ छोड़ने के बारे में पूछा, तो आपने उससे कहा : एक राय के अनुसार उसे स्नान करना चाहिए और फिर से गवाही देना चाहिए।

मेरा सवाल है यह है कि चूंकि एक ही चीज़ के बारे में बहुत सारे विचार और फतवे, तथा अलग-अलग व्याख्याएँ हैं, तो एक आम व्यक्ति को क्या करना चाहिएॽ शायद विद्वान लोग इस बात को लेकर असमंजस में हों कि लोग एक ही सवाल को क्यों दोहराते रहते हैं, जबकि एक आम आदमी यहाँ बैठकर इस बात पर असमंजस में रहता है कि उसे क्या करना चाहिए।

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

पहला : मासिक धर्म के मुद्दे बहुत जटिल हैं और उनके विषय में बहुत मतभेद है

मासिक धर्म के मुद्दे सबसे कठिन और भ्रामक मुद्दों में से हैं, जिनका एक मुफ़्ती को सामना करना पड़ता है। क्योंकि वे बहु-शाखित हैं और विद्वानों के बीच उनके विषय में बहुत मतभेद है। इसके अलावा, आधुनिक समय में ऐसी चीजें सामने आई हैं जिनसे भ्रम पैदा होता है, जैसे कि गर्भनिरोधक विधियों और मासिक धर्म को रोकने के साधनों का उपयोग, जिसके परिणामस्वरूप मासिक धर्म का सामान्य समय में रक्तस्राव, मासिक धर्म के रक्त की विशेषताओं के बिना होता है, और डॉक्टर इस बात की पुष्टि कर सकता है कि वह मासिक धर्म नहीं है।

हम मासिक धर्म के मुद्दों पर विभिन्न तरीक़ों से चर्चा करते हैं : कभी-कभी विद्वानों के विभिन्न विचारों का उल्लेख करते हैं, तो कभी केवल उस मत का उल्लेख करते हैं, जो हमें सबसे सही (प्रबल) प्रतीत होता है, और वह यह है कि मासिक धर्म की कोई अधिकतम अवधि नहीं है, और यह कि इस्तिह़ाज़ा (अनियमित रक्तस्राव) यह है कि रक्तस्राव पूरे महीने तक या अधिकांश महीने तक जारी रहे। कभी-कभी हम मासिक धर्म की अधिकतम अवधि के बारे में जमहूर (बहुमत) के दृष्टिकोण पर भरोसा करते हैं, जो कि पंद्रह दिन है; ऐसा प्रश्न करने वाली महिला से संबंधित किसी मामले के कारण करते हैं, जैसे कि यदि उसके मासिक धर्म की अवधि उदाहरण के तौर पर नियमित रूप से सात दिनों तक रहती थी, फिर उसने आईयूडी (अंतर्गर्भाशयी उपकरण) का उपयोग किया, तो उसका रक्तस्राव पंद्रह दिनों से अधिक समय तक होने लगा, या वह रक्त न होकर केवल कुछ स्राव या धब्बे और इसी तरह की चीज़ हो, जिसके साथ यह कहना संभव न हो कि जो डिस्चार्ज हो रहा है, वह मासिक धर्म है।

यह मामला सवालों की बड़ी संख्या और उनके दोहराव के कारण नहीं है।

वहाँ एक मामला ऐसा है जिसे विरोधाभास समझा जा सकता है, हालाँकि वास्तव में ऐसा नहीं है, कि हम कभी-कभी अपनी वेबसाइट पर किसी विद्वान का फतवा, अपनी ओर से किसी टिप्पणी या कुछ वृद्धि किए बिना उद्धृत करते हैं। चुनाँचे उसे हम उस विद्वान के नाम के साथ, जैसा है वैसे ही उद्धृत करते हैं। वह फतवा वेबसाइट द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण के विपरीत (भी) हो सकता है, लेकिन वह स्वीकार्य इज्तिहाद और विश्वसनीय विचारों की सीमाओं के भीतर होता है।

दूसरा : यदि मासिक धर्म के दौरान यथार्थ शुद्धि प्राप्त होती है, तो उसे शुद्धि (तुह्र) माना जाएगा

यदि कोई महिला मासिक धर्म के दौरान यथार्थ रूप से शुद्ध हो जाती है, तो यह तुह्र (यानी मासिक धर्म से शुद्धि) है, भले ही यह एक घंटे के लिए हो। यही वह दृष्टिकोण है जिसका हम फतवा देते हैं, इस शर्त के साथ कि शुद्धि की पुष्टि हो जाए, इस प्रकार कि महिला (अपनी योनि में) रुई आदि का टुकड़ा डालकर देखे, तो वह साफ निकले, उसमें पीले या भूरे रंग के निर्वहन या रक्त का कोई निशान न हो। जबकि शैख़ इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह का विचार यह है कि महिला को इसमें जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि रक्तस्राव जल्द ही फिर से शुरू हो सकता है, और यह भी संभव है कि उसने शुद्ध शुद्धता न देखी हो।

तीसरा : जिसने कई नमाज़ें छोड़ दीं फिर पश्चाताप किया

जिस व्यक्ति ने बहुत सारी नमाज़ें छोड़ दीं फिर तौबा की, तो उसे दो कारणों से क़ज़ा करने का आदेश नहीं दिया जाएगा :

1- वह इबादत जो किसी समय से जुड़ी हुई है, यदि उसका समय जानबूझकर निकल जाता है, तो उसकी क़ज़ा करना धर्मसंगत नहीं है।

2- नमाज़ त्यागना कुफ़्र है। इसलिए उस व्यक्ति का इस्लाम में फिर से प्रवेश करना पर्याप्त है, क्योंकि इस्लाम उससे पहले के पापों को मिटा देता है।

हम अक्सर यह कहते हैं कि सबसे अधिक सावधानी (एहतियात) का पहलू क़ज़ा करना है; क्योंकि जमहूर (बहुसंख्यक) विद्वान उसे क़ज़ा करने के लिए बाध्य करते हैं।

जिस व्यक्ति ने एक फ़र्ज़ नमाज़, या कुछ थोड़ी-सी फ़र्ज़ नमाज़ें छोड़ी हैं, तो उसके लिए सबसे अधिक सावधानी (एहतियात) का पहलू क़ज़ा करना है। इसलिए उसे जमहूर (बहुमत) के दृष्टिकोण के आधार पर फतवा देने में कोई समस्या नहीं है।

चौथा : हर फतवा हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है

जहाँ तक साधारण जन (आम आदमी) के रवैये का संबंध है, तो साधारण आदमी अपनी समस्या के बारे में प्रश्न करेगा, वह उस मुद्दे के बारे में पूछेगा जिसका उसे सामना है, फिर उसे जो फतवा दिया जाता है, उसके अनुसार कार्य करेगा।

फ़तवा की वेबसाइटें, शरई अह़्काम (नियमों) की किताबों की तरह नहीं हैं। उनके आगंतुक को यह बात जाननी चाहिए। अतः प्रत्येक फतवा हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि फतवा में प्रश्नकर्ता की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है, और मुफ्ती कभी किसी इज्तिहादी मुद्दे में (जिसमें विद्वानों के अलग-अलग विचार होते हैं) अप्रबल विचार के आधार पर फतवा जारी करता है और उसके निकट जो प्रबल (राजेह) विचार होता है उसे छोड़ देता है। विशेष रूप से समस्या के घटित होने के बाद, किसी आवश्यकता या प्रश्नकर्ता द्वारा उल्लेख किए गए किसी उज़्र के कारण। और यह बहुत-से विद्वानों के निकट जायज़ है। हालाँकि, अपनी वेबसाइट पर हम अलग-अलग विचारों और उनके प्रमाणों का उल्लेख करके और विद्वानों की किताबों से उद्धरण प्रस्तुत करके, ज्ञान के प्रसार के पहलू को सुदृढ़ करने के इच्छुक हैं; ताकि यह साइट ज्ञान सीखने का एक साधन बने, न कि ऐसे हुक्म को ग्रहण करने के लिए, जो केवल प्रश्नकर्ता के साथ विशिष्ट होता है।

हम आपकी इस रुचि, छानबीन करने और फतवे और विचार की समस्याओं के बारे में जागरूकता से प्रसन्न हैं। तथा हमें इस बात की भी खुशी है कि आप हमें अपनी टिप्पणियाँ, या पूछताछ, या जो कुछ प्रकाशित किया जाता है उसे समझने में अपनी कठिनाइयाँ और आपत्तियाँ भेजती हैं।

हम अल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि आपके ज्ञान और मार्गदर्शन में वृद्धि प्रदान करे।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर