हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
क़ुर्आन करीम को अच्छी तरह से पढ़ने का आदर्श तरीक़ा यह है कि आदमी अपने पाठ को किसी माहिर अध्यापक पर पेश करे, अगर उसके देश में ऐसा कोई नहीं है तो इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए यात्रा करना वांछित है और शरीअत में उसकी रूचि दिलाई गई है। यदि ऐसा करना संभव नहीं है तो मुसलमान को चाहिए कि वह अपने भाईयों से, तथा तजवीद के साथ पढ़ने वाले क़ारियों की आवाज़ों में रिकार्ड की गई कैसिटों से लाभ उठाए, और जब अल्लाह तआला बंदे के इरादे की सच्चाई जान लेता है तो उसके लिए भलाई दरवाज़े खोल देता है।