रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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मृतक को नहलाने का शरई तरीक़ा

प्रश्न

मृतकों को नहलाने का तरीक़ा क्या हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

“जहाँ तक (मृतक को) शरीयत के अनुसार नहलाने का संबंध है :

तो सबसे पहले इस्तिन्जा (गुप्तांगों को धोने) से शुरू किया जाएगा। यदि उससे पेशाब या मल में से कुछ निकला है; तो नहलाने वाला अपने हाथ पर कपड़ा लपेट लेगा और उसके पीछे और आगे के गुप्तांग (शर्मगाह) से गंदगी को धोएगा, पानी डालेगा और नाभि और घुटने के बीच के क्षेत्र को ढँक देगा ताकि वह दिखाई न दे।

फिर उसके बाद वह मृतक को शरई वुज़ू कराएगा : पानी से उसके मुँह और नाक को पोंछेगा, उसका चेहरा और हाथ धोएगा, उसके सिर और कानो का मसह करेगा, और उसके पैरों को धोएगा। फिर बेर के पत्तों से युक्त पानी को उसके सिर पर, फिर उसकी दाहिनी ओर, फिर बाईं ओर डालेगा, फिर पूरे शरीर पर पानी डालेगा। अंतिम धुलाई में पानी में कपूर मिला लेगा, जो एक प्रसिद्ध इत्र (सुगंध) है जो शरीर को मजबूत बनाता है और एक सुखद सुगंध देता है।

यह सबसे अच्छा तरीक़ा है, लेकिन वह जिस तरह भी स्नान करवाए, उसके लिए पर्याप्त है। महत्वपूर्ण बात यह है कि पानी उसके पूरे शरीर पर पहुँच जाए और गंदगी को दूर कर दिया जाए।

लेकिन सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि : इस्तिंजा (गुप्तांग की सफाई) से शुरू किया जाए, फिर उसे शरई वुज़ू कराए, फिर बेर के पत्तों वाले पानी से तीन बार स्नान कराया जाए। फिर तीन बार उसके शरीर पर, दाईं ओर फिर बाईं ओर पानी डाले।

यदि तीन बार से अधिक की आवश्यकता है, तो पाँच बार होना चाहिए। यदि इससे भी अधिक की आवश्यकता है, तो सात बार होना चाहिए। बहरहाल, उसे विषम संख्या में होना चाहिए, यही बेहतर है।

लेकिन यदि वह उसे एक बार, या दो बार स्नान कराता है, तो यह पर्याप्त है, लेकिन यदि आवश्यक हो, तो तीन या पाँच या सात बार नहलाना बेहतर है।”

थोड़े संक्षेप के साथ “शैख इब्ने बाज़ के फतावा नूरुन अलद-दर्ब” से समाप्त हुआ

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर