हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
मुकल्लफ (अर्थात् प्रत्येक व्यस्क व बुद्धि वाला मुसलमान व्यक्ति जिस पर धार्मिक कर्तव्यों का पालन करना अनिवार्य हो गया हो) के लिए परीक्षा के कारण रमज़ान में रोज़ा तोड़ना जाइज़ नहीं है, क्योंकि यह शरई उज़्र (रोज़ा तोड़ने के धार्मिक कारणों) में से नहीं है, बल्कि उसके ऊपर रोज़ा रखना अनिवार्य है और वह परीक्षा की तैयारी रात में करे यदि उसे दिन में करना उसके लिए कष्ट और कठिनाई का कारण है।
परीक्षा के ज़िम्मेदारों को चाहिए कि वे छात्रों के साथ आसानी बरतें और परीक्षा को रमज़ान के अलावा दिनों में रखें ताकि दो हित एक साथ प्राप्त होल ; रोज़े का हित और परीक्षा की तैयारी के लिए एकांत होना, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित है कि आप ने फरमाया : “ ऐ अल्लाह, जो व्यक्ति मेरी उम्मत के किसी काम का ज़िम्मेदार बन गया और उन पर सख्ती किया तो तू भी उस पर सख्ती कर और जो मेरी उम्मत के किसी काम का ज़िम्मेदार हो गया और उसने उन पर नर्मी की तो तू उस पर नर्मी कर।” इसे मुस्लिम ने अपनी सहीह में रिवायत किया है।
अतः परीक्षा के ज़िम्मेदारों को मेरी नसीहत यह है कि वे क्षात्रों और क्षात्राओं के साथ नर्मी का व्यवहार करें, और परीक्षा को रमज़ान में न रखें, बल्कि उसके पहले या उसके बाद रखें। हम अल्लाह तआला से सब के लिए तौफीक़ का प्रश्न करते हैं।