हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
आपको उस घृणित आदत को छोड़ने में जल्दी करना चाहिए, जो गरिमा और शिष्टता के विपरीत है। प्रश्न संख्या : (329) के उत्तर में इसके निषिद्ध होने के प्रमाणों का उल्लेख किया जा चुका है।
आपके लिए नमाज़ों को छोड़ने से तौबा (पश्चाताप) करना अनिवार्य है। क्योंकि नमाज़ का छोड़ना एक बहुत ही गंभीर एवं घोर पाप है। बल्कि बहुत से विद्वानों का मानना है कि यह कुफ्र (अधर्म) है।
तौबा (पश्चाताप) में : पाप को छोड़ना, जो कुछ उसने किया है उस पर पछतावा करना और उस हराम काम को दुबारा न करने का संकल्प करना शामिल है।
तथा आपसे जो नमाज़ें छूट गई हैं, उनकी क्षतिपूर्ति के लिए अधिक से अधिक नफ़्ल नमाज़ें अदा करें। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है : “नि:संदेह लोगों से क़ियामत के दिन उनके कामों में से सर्व प्रथम नमाज़ के बारे में प्रश्न किया जायेगा।” आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “हमारा महिमावान और सर्वशक्तिमान पालनहार अपने फरिश्तों से कहेगा - और वह सबसे बेहतर जानने वाला है - : “मेरे बंदे की नमाज़ को देखो, क्या उसने पूरी नमाज़ पढ़ी है या उसमें कमी की है?” अगर वह मुकम्मल और परिपूर्ण है तो उसके लिए वह मुकम्मल नमाज़ लिखी जाएगी, और अगर उसने उसमें कुछ कमी की होगी, तो अल्लाह तआला फरमाएगा : “देखो क्या मेरे बंदे की कोई नफ्ल नमाज़ है?” यदि उसकी कोई नफ्ल नमाज़ होगी तो अल्लाह फरमाएगा : मेरे बंदे की फर्ज़ नमाज़ को उसकी नफ्ल नमाज़ से पूरा कर दो।” फिर इसी तरीक़े से अन्य कामों का हिसाब लिया जाएगा।” इसे अबू दाऊद ने (हदीस संख्या : 864) रिवायत किया है।
हम अल्लाह से अपने लिए, आपके लिए और मुसलमानों के लिए, क्षमा, कल्याण और मामले में दृढ़ता का प्रश्न करते हैं।
और अल्लाह तआला ही सबसे बेहतर जानता है।