हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जी हाँ, आप के लिए वुज़ू बना कर नमाज़ दोहराना अनिवार्य है, और इस पर विद्वानों की सर्व सहमति है, क्योंकि नमाज़ के शुद्ध होने के लिए पवित्रता (वुज़ू) का होना शर्त है।
और इस का प्रमाण अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह कथन है कि:
''अल्लाह तआला तुम में से किसी की नमाज़ को जब उसका वुज़ू टुट जाए तो स्वीकार नहीं करता यहाँ तक कि वह व्यक्ति वुज़ू कर ले।'' इस हदीस को इमाम बुख़ारी (हदीस संख्या : 6954), और इमाम मुस्लिम (हदीस संख्या : 225) ने रिवायत किया है।
तथा इमाम मुस्लिम (हदीस संख्या : 224) ने अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : मैं ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फ़रमाते हुऐ सुना कि : ‘‘बिना पवित्रता (वुज़ू) के कोई नमाज़ स्वीकार नहीं की जाती है।''
इमाम नववी रहिमहुल्लाह ‘‘अल-मजमूअ” (2/79) में कहते हैं कि:
“मुसलमानों की अपवित्र (बिना वुज़ू वाले) व्यक्ति की नमाज़ के हराम (निषिद्ध) होने पर सर्व सहमति है, तथा उनकी इस बात पर भी सर्व सहमति है कि उसकी नमाज़ सही (मान्य) नहीं है चाहे वह अपनीअपवित्रता के बारे में जाननेवाला हो, या उससे अनजान हो, या उसे भूला हुआ हो। लेकिन यदि उसने अनजान में या भूल कर नमाज़ पढी है तो उसके ऊपर कोई पाप नहीं है। और अगर वह अपवित्रता को और उसके साथ नमाज़ पढ़ने के हराम (निषिद्ध) होने को जानता था तो उसने एक गंभीर पाप किया है।’’ अंत हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।