शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
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तौबा (पश्चाताप)

प्रश्न

मैंने बहुत पाप किया हैं जिन्हें केवल अल्लाह ही जानता है। अब मुझे क्या करना चाहिए कि अल्लाह तआला मेरी तौबा को स्वीकार कर लेॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

मुसलमान का ईमान (विश्वास) कमज़ोर हो जाता है और मन की इच्छा उसे परास्त कर देती है .. और शैतान उसके लिए पाप को शोभित कर देता है .. चुनाँचे वह अपने ऊपर अत्याचार करता है .. और उस चीज़ को कर बैठता है जिसे अल्लाह ने निषिद्ध ठहराया है .. जबकि अल्लाह बंदों के साथ अत्यंत दयालु है .. और उसकी दया हर चीज़ को शामिल है .. अतः जिस व्यक्ति ने अत्याचार करने के बाद तौबा और पश्चाताप कर लिया तो अल्लाह तआला उसकी तौबा को स्वीकार करेगा। निःसंदेह अल्लाह तआला बड़ा क्षमा करनेवाला अत्यंत दयालु है ..

( فمن تاب من بعد ظلمه وأصلح فإن الله يتوب عليه إن الله غفور رحيم ) [المائدة: 39].

''फिर जो व्यक्ति अत्याचार करने के बाद पलट आए और अपने को सुधार ले, तो निश्चय ही अल्लाह उसे क्षमा कर देगा। निःसंदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।'' (सूरतुल मायदाः 39)

अल्लाह क्षमा करनेवाला दानशील है .. उसने समस्त ईमान वालों को सच्ची तौबा करने का आदेश दिया है ताकि वे अल्लाह की दया और उसकी जन्नत से सफल हों। अल्लाह तआला ने फरमायाः

(يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا تُوبُوا إِلَى اللَّهِ تَوْبَةً نَصُوحًا عَسَى رَبُّكُمْ أَنْ يُكَفِّرَ عَنْكُمْ سَيِّئَاتِكُمْ وَيُدْخِلَكُمْ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الأنْهَارُ ) [سورة التحريم : 8].

"ऐ लोगो जो ईमान लाए हो, अल्लाह की ओर सच्ची तौबा करो, आशा है कि तुम्हारा पालनहार तुम्हारे गुनाहों को मिटा दे और तुम्हें ऐसे बागों में प्रवेश करे जिनके नीचे नहरें जारी होंगी।" (सूरतुत् तह्रीम: 8)

तौबा का दरवाज़ा बंदों के लिए खुला हुआ है, यहाँ तक कि सूरज पश्चिम से निकल आए। पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः

"अल्लाह सर्वशक्तिमान रात के समय अपने हाथ को फैलाता ताकि दिन के समय पाप करने वाला तौबा (पश्चाताप) कर ले। तथा वह दिन के समय अपने हाथ को फैलाता है ताकि रात के समय पाप करने वाला तौबा (पश्चाताप) कर ले, यहाँ तक कि सूरज पश्चिम से निकल आए।" इसे मुस्लिम (हदीस संख्या: 2759) ने रिवायत किया है।

सच्ची और शुद्ध तौबा मात्र एक शब्द नहीं है जिसे ज़ुबान से कह दिया जाए .. बल्कि तौबा के स्वीकार होने के लिए शर्त है कि तौबा करनेवाला गुनाह से तुरंत रुक जाए .. और जो कुछ पाप उससे हो गया उसपर लज्जित हो .. और जिससे उसने तौबा किया है उसकी ओर न पलटने का संकल्प करे .. और उत्पीड़ित पर किए हुए अत्याचार को या अधिकारों को यदि वे हैं तो उनके मालिकों को लौटा दे .. और यह तौबा मृत्यु को आँखों से देखने से पहले होना चाहिए .. अल्लाह तआला ने फरनायाः

( إنما التوبة على الله للذين يعملون السوء بجهالة ثم يتوبون من قريب فأولئك يتوب الله عليهم وكان الله عليماً حكيماً. وليست التوبة للذين يعملون السيئات حتى إذا حضر أحدهم الموت قال إني تبت الآن ولا الذين يموتون وهم كفار أولئك أعتدنا لهم عذاباً أليماً ) [النساء: 17 -18]

"अल्लाह तआला केवल उन्हीं लोगों की तौबा स्वीकार करता है जो मूर्खता में कोई बुराई कर बैठें, फिर शीघ्र ही उस से बाज़ आ जायें और तौबा करें। तो अल्लाह तआला भी उनकी तौबा क़बूल करता है, अल्लाह तआला सर्वज्ञानी और सर्वबुद्धिमान (सर्वतत्वदर्शी) है। उनकी तौबा नहीं जो बुराईयाँ करते चले जायें यहाँ तक कि जब उन में से किसी के पास मौत आ जाये तो कहे कि मैं ने अब तौबा की। और उनकी तौबा भी क़बूल नहीं जो कुफ्र (नास्तिकता) पर ही मर जायें। यही लोग हैं जिनके लिए हम ने कष्टदायक यातना तैयार कर रखा है।" (सूरतुन्निसा : 17-18)

अल्लाह बड़ा तौबा स्वीकार करनेवाला अत्यंत दयालु है। वह पापियों को पश्चाताप करने के लिए आमंत्रित करता है ताकि उन्हें क्षमा प्रदान करे।

( كتب ربكم على نفسه الرحمة أنه من عمل منكم سوءاً بِجَهَالَةٍ ثم تاب من بعده وأصلح فأنه غفور رحيم ) [الأنعام: 54].

''तुम्हारे पालनहार ने अपने ऊपर दया व करूणा को अनिवार्य कर लिया है कि तुम में से जिसने मूर्खता व अज्ञानता में बुरा काम कर लिया फिर उसके बाद तौबा और सुधार कर लिया तो वह (अल्लाह) बख्शने वाला और दया करने वाला है।” (सूरतुल अंआम : 54).

तथा अल्लाह तआला बंदों पर दयावान है तौबा करनेवालों को पसंद करता है .. और उनकी तौबा को क़बूल फरमाता है, जैसाकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का कथन हैः

وَهُوَ الَّذِي يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهِ وَيَعْفُو عَنِ السَّيِّئَاتِ وَيَعْلَمُ مَا تَفْعَلُونَ [سورة الشورى : 25]

वही (अल्लाह) है जो अपने बंदो की तौबा क़बूल फरमाता है और गुनाहों को क्षमा कर देता है और जो कुछ तुम कर रहे हो (सब) जानता है।" (सूरतुश्शूरा: 25)

तथा अल्लाह ने फरमायाः

( إن الله يحب التوابين ويحب المتطهرين ) [البقرة: 222].

''निःसंदेह अल्लाह बहुत तौबा करनेवालों को पसंद करता है तथा वह पवित्र रहने वालों को पसंद करता है।'' (सूरतुल बक़राः 222)

काफ़िर जब इस्लाम स्वीकार करता है .. तो अल्लाह तआला उसकी बुराईयों को नेकियों में बदल देता है .. और उसके पिछले पापों को क्षमा कर देता है, जैसाकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान हैः

قُلْ لِلَّذِينَ كَفَرُوا إِنْ يَنْتَهُوا يُغْفَرْ لَهُمْ مَا قَدْ سَلَفَ [ الأنفال :۳۸].

''आप काफिरों से कह दीजिए कि यदि वे बाज़ आ जाएं, तो उनके पिछले पाप क्षमा कर दिए जाएंगे।'' (सूरतुल अनफाल : 38).

अल्लाह तआला बहुत क्षमाशील, अति दयालु है, वह अपने बंदे से तौबा और पश्चाताप को पसंद करता है ओर उन्हें इसका आदेश देता है ताकि उन्हें क्षमा प्रदान करे .. मानव जाति और जिन्नों के शैतानों (राक्षसों) की चाहत यह है कि लोगों को सत्य से भटका कर असत्य और झूठ के पीछे लगा दें, जैसाकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का कथन हैः

( والله يريد أن يتوب عليكم ويريد الذين يتبعون الشهوات أن تميلوا ميلاً عظيماً) [النساء : 27].

''और अल्लाह चाहता है कि तुम्हारी तौबा स्वीकार करे, किन्तु जो लोग अपनी इच्छाओं का पालन करते हैं, वे चाहते हैं कि तुम राह से हटकर बहुत दूर जा पड़ो।'' (सूरतुन्निसाः 27)

अल्लाह की दया हर चीज़ को शामिल है .. यदि बंदे के पाप बहुत बड़े और गंभीर हैं .. और उसने अपने ऊपर पापों और गुनाहों में अत्याचार किया है, फिर वह तौबा करे .. तो अल्लाह उसकी तौबा स्वीकार करता है .. और उसके पापों को क्षमा कर देता है चाहे वे कितने भी हों, जैसाकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का कथन हैः

قُلْ يَاعِبَادِي الَّذِينَ أَسْرَفُوا عَلَى أَنْفُسِهِمْ لا تَقْنَطُوا مِنْ رَحْمَةِ اللهِ إِنَّ اللهَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ جَمِيعًا [ الزمر :53]

"आप कह दीजिए कि ऐ मेरे बंदो! जिन्हों ने अपनी जानों पर अत्याचार किया है अल्लाह की रहमत से निराश न हो, निःसन्देह अल्लाह तआला सभी गुनाहों को माफ कर देता है।" (सूरत जुमर : 53)

तथा पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः ''हमारा पालनहार सर्वशक्तिमान हर रात को निचले आकाश पर उतरता है, जब रात का अंतिम तिहाई हिस्सा शेष रह जाता है। चुनाँचे वह कहता हैः कौन है जो मुझे पुकारे तो मैं उसकी दुआ स्वीकार करूंॽ कौन है जो मुझसे माँगे तो मैं उसे प्रदान करूँॽ कौन है जो मुझसे अपने पापों की माफी मांगे, तो मैं उसे माफ कर दूँ।'' इसे बुखारी (हदीस संख्याः 1077) और मुस्लिम (हदीस संख्याः 758) ने रिवायत किया है।

मानव आत्मा कमज़ोर है .. यदि कोई व्यक्ति पाप करता है तो उसे चाहिए कि पश्चाताप करे और हर समय क्षमा याचना करता रहे। क्योंकि अल्लाह तआला बड़ा क्षमा करनेवाला, अति दयालु है। उसी का कहना है:

ومن يعمل سوءاً أو يظلم نفسه ثم يستغفر الله يجد الله غفوراً رحيماً [سورة النساء : 110]

''और जो भी कोई बुराई करे या खुद अपने ऊपर ज़ुल्म करे, फिर अल्लाह तआला से क्षमा मांगे, तो अल्लाह को बड़ा क्षमाशील और अति दयालु पाएगा।” (सूरतुन्निसा : 110)

मुसलमान के गलतियों और पापों से ग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है .. अतः उसे अधिक से अधिक पश्चाताप और क्षमा याचना करना चाहिए .. पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः "अल्लाह की क़सम! मैं अल्लाह से एक दिन में सत्तर से अधिक बार इस्तिग़फार (क्षमा याचना) और तौबा (पश्चाताप) करता हूँ।" इसे बुखारी (हदीस संख्या: 6307) ने रिवायत किया है।

अल्लाह अपने बंदे से तौबा और पश्चाताप को पसंद करता और उसे स्वीकार करता है। बल्कि उससे प्रसन्न होता है, जैसा कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "अल्लाह अपने बंदे की तौबा से तुम में से उस व्यक्ति से भी अधिक खुश होता है, जो अपने उस ऊँट को पा गया हो जिसे उसने एक चटियल मैदान में खो दिया था।" (मुत्तफक़ अलैह, इसे बुखारी ने हदीस संख्याः 6309 के तहत रिवायत किया है।)

स्रोत: शैख मुहम्मद बिन इब्राहीम अत-तुवैजरी की किताबः ''उसूलुद्दीनिल इस्लामी'' से उद्धृत।