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सिर की त्वचा के लिए ऐसी दवा का उपयोग करना जिसमें कुछ अल्कोहल होता है

14-08-2023

प्रश्न 105101

अल्कोहल युक्त दवा से संबंधित मेरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए धन्यवाद, लेकिन मुझे और स्पष्टीकरण चाहिए। आपने उल्लेख किया है कि अगर अल्कोहल का प्रतिशत कम है और उसकी थोड़ी मात्रा से नशा नहीं होता है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। मैं कहता हूँ कि मैंने जिस दवा के बारे में पूछा वह पी नहीं जाती है; बल्कि उसे सिर की त्वचा पर लगाया जाता है। जहाँ तक इसमें अल्कोहल के प्रतिशत का संबंध है, तो मैं इसे नहीं जान सकता, लेकिन इसकी गंध बहुत तेज़ होती है, तो आपका जवाब क्या हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यदि अल्कोहल युक्त दवा सिर पर लगाई जाती है, और उसे पिया नहीं जाता है, और किसी व्यक्ति को उसकी आवश्यकता है, तो उसका उपयोग करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, भले ही उसमें अल्कोहल की मात्रा ज़्यादा हो या उसकी गंध बहुत तेज़ हो। लेकिन अगर यह साबित हो जाए कि इस तरह के अल्कोहल से नशा होता है, और इस दवा की अधिक मात्रा पीना - यह मानकर कि इसे पिया जाता है - नशा पैदा करता है, तो ऐसी स्थिति में इसे बेचना या खरीदना, या इसके साथ इलाज करना जायज़ नहीं है; क्योंकि यह शराब है।

“इफ्ता की स्थायी समिति” के विद्वानों से प्रश्न किया गया : अल्कोहल या सामान्य रूप से शराब का लाभ उठाने का क्या हुक्म है, अर्थात् : उसे फर्नीचर को पेंट करने के लिए, तथा उपचार और ईंधन में, सफाई करने, सुगंधित करने और कीटाणुशोधन में उपयोग करना, या उसे सिरका बना लेनाॽ

तो उन्होंने जवाब दिया : “जो कुछ भी अधिक मात्रा में पीने से नशा होता है, तो वह ख़म्र (शराब) है, और उसकी थोड़ी और अधिक मात्रा समान है। चाहे उसे अल्कोहल कहा जाए या किसी अन्य नाम से पुकारा जाए। अनिवार्य यह कि उसे बहा दिया जाए। उसे उपयोग के लिए रखना तथा उससे सफाई करने, या कीटाणुशोधन, या ईंधन, या सुगंध के रूप में लाभ उठाने, या उसे सिरका में बदलना, या इसी तरह के अन्य उपयोंगों इसका लाभ उठाना हराम है।

लेकिन जिसकी अधिक मात्रा पीने से नशा नहीं होता है, तो वह खम्र (शराब) नहीं है, और उसे सुगंधित करने, उपचार और घावों को साफ करने आदि के लिए उपयोग करना जायज़ है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ ... अब्दुर-रज़्ज़ाक़ अफ़ीफ़ी ... अब्दुल्लाह बिन ग़ुदैयान ... अब्दुल्लाह बिन क़ऊद।

“फ़तावा अल-लजनह अद-दाईमह” (22/106)।

तथा उनसे यह भी पूछा गया (22/297) : बाज़ार में कुछ ऐसी दवाइयाँ या मिठाइयाँ बिकती हैं जिनमें अल्कोहल की एक अल्प मात्रा होती है। क्या उन्हें खाना जायज़ हैॽ ज्ञात रहे कि यदि कोई व्यक्ति इस मिठाई को खाए और इसे बहुत अधिक खाए, तो यह कभी भी नशे के स्तर तक नहीं पहुँचेगा।

तो उन्होंने उत्तर दिया : “यदि मिठाइयों या दवाओं में अल्होहल की मात्रा बहुत कम है, इस प्रकार कि उसकी अधिक मात्रा खाने या पीने से नशा नहीं होता है; तो उसका सेवन करना और उसे बेचना जाइज़ है; क्योंकि उनका स्वाद, या रंग या गंध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। क्योंकि वह एक शुद्ध और जायज़ पदार्थ में बदल जाता है। लेकिन मुसलमान के लिए इस तरह के उत्पादों का निर्माण करना या उन्हें मुसलमानों के खाने में डालना या उसमें मदद करना जायज़ नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

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