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हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सभी प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।यदि “इराम फातिमा” नाम आपकी राष्ट्र भाषा में प्रचलित है,और उसका कोई ऐसा अर्थ नहीं है जो शरीअत के खि़लाफ है या शरीअत के शिष्टाचार के विरूद्ध -खिलाफे अदब- है : तो यह नाम रखने में कुछ भी गलत नहीं है। क्योंकि धर्म संगत नाम के लिए यह शर्त नहीं है कि वह किताब व सुन्नत में वर्णित हुआ हो,जिस तरह कि यह भी शर्त नहीं हैकि वह अरबी भाषा का शब्द हो,तथा शरीअत में कोई ऐसा प्रमाण नहीं है जिसका यह मतलब होता हो कि अरब के अलावा जितने भी राष्ट्र हैं सभी लोग अरबी नाम रखें। बल्कि अनिवार्य यह है कि वे ऐसे नामों से दूर रहें जो अन्य धर्मों वालों के साथ विशिष्ट हैं, और जिनका उन धर्मों के अनुयायियों में अक्सर इस्तेमाल होता है,जैसे- जर्जिस, पुतरूस, यूहन्ना, मत्ता और इनके समान,तो मुसलमानों के लिए ये नाम रखना जाइज़ नहीं है ;क्योंकि इनके अंदर अन्य धर्मों के मानने वालों के साथ विशिष्ट चीज़ से समानता और मुशाबहत पाई जाती है।” इब्नुल क़ैयिम की किताब “अहकामो अह्लिजि़्ज़म्मा” (3/251) से उद्धृत।
लेकिन यदि गैर अरबी भाषा का शब्द अच्छे और शिष्ट अर्थ वाला हो तो उसका इस्तेमाल करने और उसके द्वारा नाम रखने में कोई समस्या नहीं है,संदेष्टा और ईश्दूत (उन पर अल्लाह की दया और शांति अवतरित हो) अपने और अपने बच्चों के अच्छे नाम रखते थे,जिन्हें वे अपनी रीति और आदात से चयन करते थे और उनमें अरबी भाषा की पाबंदी नहीं करते थे,उन्हीं नामों में से : इस्राईल,इसहाक़, मूसा और हारून हैं।
तथा इमाम अल-मावरदी रहिमहुल्लाह ने कुछ ऐसी बातों का उल्लेख किया है जिनका चयन करना नामों के अंदर मुसतहब्ब (बेहतर) है,उन्हों ने जो बातें कही हैं उनमें से कुछ यह हैं कि: “वह अर्थ के अंदर अच्छा हो, जिसका नामा रखा जा रहा है उसकी स्थिति के अनुकूल हो,उसकी श्रेणी,धर्म और पद वालों के नामों में प्रचलित हो।” अंत हुआ।
“नसीहतुल मुलूक” (पृष्ठः 167)
जबकि यह शब्द “इराम” अरबी भाषा में प्रयोग नहीं होता है,इसके बारे में हम ने दूसरी भाषाओं में तलाश किया,तो (कुछ वेबसाइटों में खोज के द्वारा) हमारे लिए स्पष्ट हुआ कि “इराम” नाम जो कि कुछ इस्लामी देशों में स्त्रियों का नाम रखने में इस्तेमाल किया जाता है, उसका अर्थ -उनकी भाष में- : स्वर्ग में एक बगीचा है।
यदि आपकी भाषा में उसका यही वास्तविक अर्थ है,तो यह नाम रखने में कुछ भी गलत नहीं है,बल्कि वह एक अच्छा अर्थ है, लेकिन उसे फातिमा के साथ जोड़ने का हमारे लिए कोई अर्थ स्पष्ट नहीं होता है,और र्स्वग सर्वसंसार की औरतों को छोड़कर केवल फातिमा के लिए विशिष्ट नहीं है, इसलिए दोनों नामों में से किसी एक नाम पर ही बस करना अधिक सुरक्षित है : या तो फातिमा,और या तो इराम, यदि यह आपके यहाँ प्रचलित है।