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कुछ लोगों ने एक लड़की पर व्यभिचार का आरोप लगाया हालांकि वह उससे बरी (निर्दोष) है, तो ऐसी स्थिति में उसे क्या करना चाहिए? क्या वह इसे नज़रअंदाज़ कर दे, और अल्लाह तआला पर भरोसा करे ताकि वह उसे निर्दोष और बेगुनाह साबित कर दे। जबकि ज्ञात रहे कि उसके पास अपनी बेगुनाही का कोई प्रमाण नहीं है। केवल अल्लाह ही उसकी बेगुनाही का साक्षी है। लोग उसे बुरी नज़र से देखते हैं, तथा लोगों ने उसका बहिष्कार कर दिया है। यह सब केवल एक आदमी की वजह से हुआ है जिसने अपने बुरे कार्यों पर पर्दा डालने के लिए उससे बदला लिया है। कृपया आप सलाह दें।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सर्वप्रथम :
लोगोंकी इज़्ज़त व आबरू(सतीत्व) में पड़नेसे ज़ुबान की रक्षाऔर बचाव करना ज़रूरीहै। तिर्मिज़ी(हदीस संख्या :2616) ने मुआज़ बिन जबलरज़ियल्लाहुअन्हु से रिवायतकिया है और उसेसहीह कहा है किउन्हों ने नबीसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम से कहा: ऐ अल्लाह के नबी! क्या हमजो कुछ बात कहतेहैं उस पर हमारीपकड़ होगी? तो आप नेफरमाया : ‘‘ऐ मुआज़! तुम्हारीमाँ तुझे गुम पाए, क्या लोगोंको उनके चेहरोंके बल या उनकी नाकके बल जहन्नम मेंउनकी ज़ुबानों कीकमाईयाँ नहीं डालेंगी?”
अल्बानीने सहीह तिर्मिज़ीमें इसे सहीह कहाहै।
पाकदामनपवित्राचारिणीमहिला पर आरोपलगाना ज़ुबान कीबुराइयों, बड़ेगुनाहों और बुरे कार्योंमें से है, और जिस व्यक्तिने किसी पाकदामनमहिला पर व्यभिचारका आरोप लगायावह फासिक़ (अवज्ञाकारी)है, उसकी गवाहीको रद्द कर दियाजायेगा, और उसे अस्सीकोड़े दण्ड केरूप में लगायेजायेंगे। अल्लाहतआला ने फरमाया:
وَالَّذِينَ يَرْمُونَ الْمُحْصَنَاتِ ثُمَّ لَمْ يَأْتُوا بِأَرْبَعَةِ شُهَدَاءَفَاجْلِدُوهُمْ ثَمَانِينَ جَلْدَةً وَلَا تَقْبَلُوا لَهُمْ شَهَادَةً أَبَدًا وَأُولَئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَ إِلَّا الَّذِينَ تَابُوا مِنْ بَعْدِذَلِكَ وَأَصْلَحُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
النور :4-5
”और जो लोगपाक दामन औरतोंपर (व्यभिचार का)आरोप लगाएँ फिर(अपने दावे पर) चारगवाह पेश न करेंतो उन्हें अस्सीकोड़े मारो और फिरकभी उनकी गवाहीक़बूल न करो और (यादरखो कि) ये लोग स्वयंबदकार(अवज्ञाकारी) हैं।सिवायउन लोगों केजो इसके पश्चाततौबा कर लेंऔर सुधार करलें, तोनिश्चय हीअल्लाह बहुतक्षमाशील,अत्यन्तदयावान है।” (सूरतुन्नूर: 4-5)
तथाअल्लाह के पैगंबरसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम ने फरमाया: ‘‘और जिसनेकिसी असत्य चीज़के बारे में वाद-विवादकिया जबकि वह उसेजानता है, तो वह निरंतरअल्लाह के क्रोधमें रहता है यहाँतक कि वह उससे बाहरनिकल जाए, और जिसने किसीमोमिन के बारेमें कोई ऐसी बातकही जो उसमें नहींहै तो अल्लाह तआलाउसे रदगतुल खबालमें निवास देगायहाँ तक कि वह उससेबाहर निकल जाएजो उसने कहा है।”इसे अबू दाऊद (हदीससंख्या : 3579) वगैरहने रिवायत कियाहै और अल्बानीने सहीह कहा है।
तथाअल्लाह के पैगंबरसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम ने यह भीफरमाया : ”जिसनेअपने गुलाम कोव्यभिचार से आरोपितकिया उस पर क़ियामतके दिन हद (शरई दण्ड)क़ायम किया जायेगा,सिवाय इसके किवह उसी तरह हो जिसतरह उसने कहा है।”इसे मुस्लिम (हदीससंख्या : 1660) ने रिवायतकिया है।
बन्देको अच्छी तरह मालूमहोना चाहिए किबदला कार्य हीके जिन्स(प्रकार) से मिलताहै, और यह किजिसने अपने मुसलमानभाई को अपमानितकरने का प्रयासकिया, और उसकीखामियों को तलाशकिया, तो करीबहै कि अल्लाह तआलाउसे जल्द ही उसकीसज़ा दे दे और उसेलोगों के बीच अपमानितकर दे।
तिर्मिज़ी(हदीस संख्या :2032) ने इब्ने उमर रज़ियल्लाहुअन्हुमा से रिवायतकिया है कि उन्होंने कहा : अल्लाहके पैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लममिंबर पर चढ़े औरएक ऊँचे स्वर मेंआवाज़ लगाते हुएकहा : ”ऐ उन लोगोंके समूह जिसनेअपनी ज़ुबान सेइस्लाम स्वीकारकिया है और उसकेदिल में ईमान नहींप्रवेश किया है!मुसलमानों को कष्टन पहुँचाओ, उन्हें तानामत दो और उनकी त्रुटियाँन ढूँढों ; क्योंकि जिसनेअपने मुसलमान भाईकी त्रुटि तलाशकी, अल्लाहउसकी त्रुटि ढूँढेगा, और जिसकीत्रुटि अल्लाहतलाश करे तो उसेअपमानित कर देगाचाहे वह अपनेघर के भीतर ही क्योंन हो।” इसे अल्बानीने सहीह तिर्मिज़ीमें सहीह कहा है।
दूसरा:
इस महिलापर, जिसपर झूठाव्यभिचार का आरोपलगाया गया है : अपनीबेगुनाही पर सबूतस्थापित करना ज़रूरीनहीं है, बल्कि वह अपनेमूल इस्लाम सेही इस आरोप से मुक्तऔर बरी(निर्दोष) है, और किसी केलिए इस बात की अनुमतिनहीं है कि वह बिनाकिसी शरई सबूतके उसे इसकेअलावा किसी चीज़से आरोपित करे।और शरई सबूत यहहै कि : चार न्यायप्रिय मुसलमानगवाह उसके ऊपरगवाही दें, उन में सेहर एक यह कहे किउसने उसे ऐसा करतेहुए देखा है, या वह स्वयंअपने ऊपर इसकोस्वीकार कर ले। और जब तक ऐसानहीं होता है : वहबरी और बेगुनाहहै, किसी केलिए यह जायज़ नहींहै कि वह उसे इसकेअलावा किसी चीज़से आरोपित करे।और जिसने उसकेऊपर इसका आरोपलगाया : उसके ऊपरक़ज़्फ (झूठी तोहमतलगाने) का हद (दण्ड)क़ायम किया जायेगा, और वह फासिक़(अवज्ञाकारी), और झूठा होगाउसकी गवाही रद्दकर दी जायेगी।यदि वह ऐसे देशमें नहीं है जहाँमज़लूम (अत्याचारसे पीड़ित) के साथन्याय किया जाताहै और जिसमें झूठाआरोप लगाने वालेअत्याचारी पर शरीअतका दण्ड लागू कियाजाता है, तो वह यथाशक्तिअपने आप से उसकोदूर करने की भरपूरप्रयास करेगी, तथा अपने मामलेमें निम्न चीज़ोंका पालन करेगी:
– वहपरोक्ष और प्रत्यक्षसभी स्थितियोंमें अल्लाह तआलाका भय रखे, क्योंकि अल्लाहतआला मज़लूमों औरअत्याचार ग्रस्तलोगों का समर्थनकरता है और ईमानवालोंका पक्ष धरता है, अल्लाह तआलाने फरमाया :
إِنَّ اللَّهَ يُدَافِعُ عَنِ الَّذِينَ آمَنُوا
الحج: 38
”निश्चय हीअल्लाह उनलोगों की ओरसे प्रतिरक्षाकरता है, जोईमान लाए।” (सूरतुलहज्ज : 38)
– आपअल्लाह से मददमांगें और धैर्यसे काम लें, क्योंकि जोभी अल्लाह से किसीभलाई पर मदद मांगताहै ताकि उसे प्राप्तकरे या किसी बुराईपर ताकि उसे दूरकर दे तो अल्लाहतआला उसकी मददकरता है। और जिसनेसब्र से काम लियाउसी के लिए परिणामहै, तथा मुस्लिम(हदीस संख्या :2999) ने सुहैबरज़ियल्लाहु अन्हुसे रिवायत कियाहै कि उन्हों नेकहा : अल्लाह केपैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने फरमाया:
मोमिन(अल्लाह तआला मेंविश्वास रखने वाले)का मामला बड़ा अनोखाहै कि उसके प्रत्येकमामले में भलाईहै और यह विशेषताकेवल मोमिन हीको प्राप्त है, यदि उसे प्रसन्नताप्राप्त होती हैऔर वह उस पर आभारप्रकट करता हैतो यह उसके लियेभला होता है, और यदि उसेकोई शोक (कष्ट) पहुंचताहै जिस पर वह धैर्यसे काम लेता हैतो यह उसके लियेभला होता है।’’ (मुस्लिम)
तथाअहमद (हदीस संख्या: 2800) ने रिवायत कियाहै कि आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने फरमाया : ”…. और यहा बातजान लो कि जो तुमनापसंद करते होउस पर धैर्य करनेमें बहुत भलाईहै, और यह किमदद व समर्थन सब्रके साथ है, और परेशानीके साथ आसानी है, और तंगी केसाथ आसानी है।”(इसे अल्बानी ने”ज़िलालुल जन्नह”(1/125) में सहीह कहाहै।)
– वहअपने आपसे जहाँतक हो सके उन सन्देहोंऔर आरोपों को हटाएऔर दूर करे जो उसेघेरे हुए हैं, और इस संबंधमें सबसे बेहतरतरीक़ा यह है किलोग उसके चाल-ढाल, तरीक़े, वेश-भूषा औरकार्य से ऐसी चीज़देखें जिसके द्वारावे स्वयं ही उससेइस असत्य और झूठचीज़ का खण्डन करें।
– वह अल्लाहसे विशुद्ध औरसच्ची दुआ करेकि वह उसे इस परेशानीसे नजात दिलाए, और उससे बुराईको दूर करे, क्योंकि अल्लाहतआला का फरमानहै:
أَمَّنْ يُجِيبُ الْمُضْطَرَّ إِذَا دَعَاهُ وَيَكْشِفُ السُّوءَ وَيَجْعَلُكُمْ خُلَفَاءَ الْأَرْضِ أَإِلَهٌ مَعَ اللَّهِ قَلِيلًا مَا تَذَكَّرُونَ
النمل : 62
‘‘वह कौनहै जो परेशान हालकी पुकार का उत्तरदेता है जब वह उसेपुकारे, और उस कीसंकट को दूर करताहै और तुम्हेंधरती का खलीफा(उत्तराधिकारी)बनाता है। क्याअल्लाह के साथकोई अन्य पूज्यभी है? तुम लोग बहुतकम ही नसीहत पकड़तेहो।’’ (सूरतुननम्ल : 62)
और अल्लाहतआला ही सबसे अधिकज्ञान रखता है।